गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चुनावी सुधारों पर अपने विचार रखे। इससे पहले मंगलवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने विचार रखे थे। गृह मंत्री ने सदन में स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू (SIR) के मुद्दे पर भी बात की।
लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी सुधारों पर बात की। इस दौरान उन्होंने SIR पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब इतिहास का ज़िक्र होता है तो गुस्सा करना एक नया ट्रेंड बन गया है। SIR 2004 में और फिर 2025 में किया गया था। अब तक किसी ने विरोध नहीं किया है। लोकतंत्र वोटर लिस्ट पर आधारित है। इसलिए यह SIR ज़रूरी है।
SIR क्यों किया जा रहा है? अमित शाह ने सदन में समझाया:
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "SIR के तहत, मरने वालों के नाम हटा दिए जाते हैं। विदेशी नागरिकों के नाम जोड़े जाते हैं। 18 साल के हो चुके लोगों के नाम जोड़े जाते हैं। यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी वोटर का नाम एक से ज़्यादा जगह पर लिस्टेड न हो। यह SIR वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण है। क्या किसी विदेशी को इस देश की संसद, राज्य सरकार को चुनने का अधिकार दिया जाना चाहिए? मेरी राय है कि उन्हें नहीं दिया जाना चाहिए।"
विपक्ष पर निशाना
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि SIR के मुद्दे पर देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई। SIR के बारे में एकतरफ़ा झूठ फैलाया गया। देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई। सदन में चुनावी सुधारों पर चर्चा होनी थी, लेकिन ज़्यादातर विपक्षी सदस्यों ने सिर्फ़ SIR पर चर्चा की।
'SIR चुनाव आयोग का काम है'
शाह ने कहा, "विपक्ष ने SIR पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन मेरा पक्का मानना है कि SIR पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। क्योंकि SIR का काम चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी है। भारत का चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त सरकार के तहत काम नहीं करते हैं। जब उन्होंने कहा कि हम चुनावी सुधारों पर चर्चा के लिए तैयार हैं, तो हम तुरंत सहमत हो गए।"
देश के कई राज्यों में SIR प्रक्रिया जारी
गौरतलब है कि चुनाव आयोग बंगाल समेत देश के कई राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू के तहत वोटर लिस्ट की समीक्षा कर रहा है। इसी संदर्भ में विपक्ष चुनाव आयोग और सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगा रहा है। इस मुद्दे पर लोकसभा में चुनावी सुधारों पर चर्चा की मांग की गई है। सत्ताधारी और विपक्षी, दोनों पार्टियों के नेता संसद के दोनों सदनों में अपने विचार रख रहे हैं। इससे पहले, बुधवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी लोकसभा में इस मामले पर बात की थी। उन्होंने बीजेपी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया और चुनाव में हेरफेर के भी आरोप लगाए।