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खर्च सीमा कुछ भी हो फिर भी करोड़ों का होगा डूसू चुनाव
नई दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा होते ही छात्र संगठनों व उनके प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जिस तरह प्रचार के लिए उम्मीदवारों की गाड़ियों का काफिला सड़कों पर दौड़ रहा है और पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स और हैंडबिल उड़ते नजर आ रहे हैं उससे इस साल भी डूसू चुनाव का खर्च करोड़ों का रहने वाला है। जबकि एक उम्मीदवार के लिए चुनाव खर्च सीमा पांच हजार रुपये ही है। इस बार भी चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए उम्मीदवार पैसा खर्च करने में पीछे नहीं है।
इसके बावजूद खर्च पांच हजार रुपये ही दिखाया जाएगा। तर्क यह दिया जाएगा कि समर्थकों ने पैसा खर्च किया है। लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार प्रत्याशियों के समर्थकों पर नियम लागू नहीं होते हैं। डीयू प्रशासन ने इस साल भी डूसू चुनाव में एक उम्मीदवार के लिए चुनाव खर्च सीमा पांच हजार रुपये तय की है, लेकिन वास्तव में उम्मीदवारों का एक दिन का चुनाव प्रचार खर्च पांच हजार रुपये से कहीं अधिक आता है। उम्मीदवारों का कहना है कि यह चुनावी खर्च सीमा काफी कम है।
डीयू में चुनाव से 52 कॉलेज जुड़े हुए हैं, नॉर्थ व साउथ कैंपस के कॉलेजों को छोड़ दें तो बाहरी दिल्ली के कॉलेज काफी दूर-दूर हैं। ऐसे में इन कॉलेजों में आने-जाने में पेट्रोल पर काफी खर्च हो जाता है। प्रत्याशी कहते हैं कि कॉलेजों में प्रचार के लिए जाने के लिए वाहनों का इस्तेमाल करना पड़ता है और समर्थकों के साथ अन्य साधनों से कॉलेजों तक नहीं पहुंचा जा सकता है। प्रत्याशी प्रचार के लिए लैंड रोवर, फॉरच्यूनर, थार, इनोवा, बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं प्रचार के अन्य साधनों होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर, पैम्फलेट पर भी काफी खर्च किया जा रहा है। इस कारण से कैंपस के आसपास के इलाकों की दीवारें इन दिनों इन्हीं से पटी पड़ी है। उसके अलावा दिनभर प्रचार में जुटने वाले समर्थकों पर भी रोज हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं।
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