-भोपाल उत्तर विधानसभा सीट: भाई को किनारे कर बेटे को चुना अपना उत्तराधिकारी
भोपाल । कांग्रेस के सबसे मजबूत किलो में से एक भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर पारिवारिक घमासान सामने आ गया है। यहां के कांग्रेस विधायक आरिफ अकील ने भाई को किनारे कर बेटे को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है, जिससे यहां परिवार में ही लड़ाई शुरू हो गई है। गंभीर रूप से बीमार आरिफ अकील एक बार निर्दलीय तो 5 बार कांग्रेस के विधायक बने हैं। आरिफ अकील लंबे समय से बीमार हैं जिस कारण से उन्होंने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बेटे अतीफ अकील को घोषित कर दिया है। बेटे को उत्तराधिकारी बनाने की बात से आरिफ के भाई आमिर अकील नाराज हो गए हैं। आमिर ने कहा कि कांग्रेस को मुझे टिकट देना चाहिए।
आमिर अकील अपने बड़े भाई आरिफ अकील के साथ राजनीतिक क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे हैं। वह खुद को भोपाल उत्तर विधानसभा सीट से प्रबल दावेदार मान रहे थे इसी बीच बड़े भाई ने अपने बेटे के नाम का ऐलान कर दिया। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आरिफ अकील फैंस क्लब की एक रैली निकली। इसी कार्यक्रम में विधायक आरिफ अकील ने बेटे आतिफ अकील को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए जिंदाबाद के नारे लगवाए। बड़े भाई की बात सुनकर आमिर अकील भावुक और निराश हो गए थे।
दिग्विजय कर रहे हैं मध्यस्ता
अब कलह इतनी बढ़ गई है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा को इस परिवार को मनाने के लिए जुटना पड़ रहा है। पिछले दिनों दिग्विजय सिंह आरिफ अकील के यहां पहुंचे और दोनों भाइयों को साथ बैठाकर सुलह कराने की कोशिश की। दिग्विजय ने आमिर अकील को समझाया है कि भतीजे (आतिफ अकील) का साथ देने के लिए तैयार रहो।
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आरिफ अकील की राजनीति
आपको बता दें कि 1977 से अस्तित्व में आई भोपाल उत्तर विधानसभा में भाजपा सिर्फ एक बार ही चुनाव जीत पाई है। साल 1993 में भाजपा के प्रत्याशी रमेश शर्मा चुनाव जीते थे। 1998 से कांग्रेस के टिकट पर लगातार आरिफ अकील चुनाव जीतते आ रहे हैं।
भाजपा की राहें हो सकती हैं आसान
राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि भाई-भाई की लड़ाई में यहां पर भाजपा चुनावी सूखा खत्म कर सकती है। पार्टी ने यहां से महीने भर पहले ही आलोक शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। वे प्रचार-प्रसार और रणनीति बनाने में जुट गए हैं। आरिफ अकील अगर अपने बेटे को टिकट दिलवाने में कामयाब हो जाते हैं तो आमिर अकील भितरघात कर सकते हैं, ऐसे में भाजपा प्रत्याशी के लिए राह आसान हो सकती है।