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वैवाहिक विवाद में पत्नी की सुविधा देखना जरूरी : हाईकोर्ट
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पति पत्नी के मामले में सुनवाई होने के दौरान पत्नी की सुविधा का ध्यान रखना जरुरी है। हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 10 के तहत मामले को स्थानांतरित करने की मांग करने वाले आवेदन पर विचार करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच विवाद के मामले में पत्नी की सुविधा का संतुलन देखा जाना चाहिए और चूंकि धारा 125 के तहत एक कार्यवाही गोरखपुर में लंबित है, इसलिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 10 के तहत कार्यवाही को स्थानांतरित किया जाना आवश्यक है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी को होने वाली कठिनाई को देखते हुए यह एक उपयुक्त मामला है, जहां अदालत को मामले को जिला वाराणसी से जिला गोरखपुर में स्थानांतरित करने की अपनी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। अतः कोर्ट ने स्थानांतरण आवेदन को अनुमति दे दी। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की एकलपीठ ने याची मीनाक्षी श्रीवास्तव द्वारा हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 10 के तहत मामले को स्थानांतरित करने की मांग करने वाले आवेदन पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
दरअसल सीआरपीसी की धारा 125 की कार्यवाही की गई। पत्नी द्वारा विपक्षी/पति के विरुद्ध गोरखपुर में मामला कायम किया गया है जबकि विपक्षी ने वाराणसी में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 10 के तहत कार्यवाही शुरू की है। याची के अधिवक्ता का तर्क था कि वह अपने वृद्ध माता-पिता के साथ गोरखपुर में रहती है। और गोरखपुर से वाराणसी के बीच की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है और याची के पास मुकदमेबाजी के खर्च और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए आय का कोई स्रोत नहीं है।
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