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महिला के शव का 3 साल से नहीं हुआ अंतिम संस्कार, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
प्रयागराज, । सुनने में भले यह अटपटा और अचंभा जैसा लगता है, लेकिन हकीकत यही है कि पिछले 3 साल से एक महिला का शव अंतिम संस्कार के लिए बाट जोह रहा है। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार और पुलिस महकमें से जवाब तलब किया है। और मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर को नियत की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इटावा में रखे महिला के कंकाल का अंतिम संस्कार नहीं होने वाली खबर पर संज्ञान लेते हुए गंभीरता दिखाई है। अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन से जवाब तलब किया है। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि कंकाल का नमूना लिया जाए और उसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
इस मामले में अदालत 31 अक्तूबर को सुनवाई करेगी। इस मामले में अदालत ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि संविधान मृतकों का संरक्षक है। अदालतें उनके अधिकारों की प्रहरी हैं। मृतकों के अधिकार भी जीवित व्यक्ति से कम नहीं हैं। मृतकों को कानून द्वारा त्यागा नहीं जाता और वे कभी भी संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं होते हैं। गौरतलब है कि एक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने सरकार और स्थानीय पुलिस अधिकारियों से जवाब मांगा है कि आमतौर पर शव गृहों में रखे शवों के अंतिम संस्कार की क्या प्रक्रिया होती है?
यदि एक शव के अंतिम संस्कार में इतना विलंब हुआ तो इसकी वजह क्या है? अदालत ने पूछा है कि आखिर वह क्या कारण है, जिससे कारण निश्चित समय में अंतिम संस्कार नहीं हो सका। अदालत ने मामले की विवेचना की स्थिति और शव संरक्षित करने की पूरी प्रक्रिया के संबंध में भी जानकारी चाही है। यही नहीं अदालत ने इससे संबंधित केस डायरी प्रस्तुत करते हुए डीएनए जांच को भेजे गए सेंपल की रिपोर्ट की भी जानकारी प्रस्तुत करने को कहा है। यहां बतलाते चलें कि एक परिवार ने रीता नाम की युवती के कंकाल होने का दावा अदालत में किया हुआ है। परिवार का कहना है कि अभी तक डीएनए रिपोर्ट से कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।
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