नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ न्यायमूर्ति जेवी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है, कि यदि कोई फार्म लोन चुकाने में चूक करती है। तो निजी तौर पर उसकी गारंटी देने वालों के खिलाफ ऋण शोध कानून के तहत कार्रवाई करना न्यायपूर्ण है।रिलायंस कम्यूनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल के ऋण मैं निजी गारंटी देने वाले अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत ऋण शोधन कार्रवाई प्राधिकरण द्वारा शुरू की गई थी।
इसके खिलाफ अनिल अंबानी न्यायालय में गए थे। इसके अलावा 200 अन्य याचिकाकर्ता भी थे। न्यायालय ने याचिका को स्वीकार नहीं करते हुए, वसूली की जो कार्रवाई प्राधिकरण द्वारा की जा रही है। उसे सही ठहराया है।याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था, कि निजी गारंटी देने वालों को अपना पक्ष रखने या ऋण शोधन समाधान प्रक्रिया का विरोध करने का अवसर नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, कि आईबीसी के प्रावधान मनमानी भरे नहीं है।डिफॉल्ट करने वाली कंपनी के वित्तगत गारंटर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कोई राहत नहीं मिली है।