नई दिल्ली। मेरी इकलौती बिटिया को मुझसे बिछड़े आठ दिन हो गए, आखिर मिल क्यों नहीं रही है। आखिरी बार अपने हाथों से उसे खाना खिलाया था। मुझे क्या पता था कि अब मेरी बिटिया मेरे हाथों का खाना नहीं खा पाएगी। मुनक नहर में बुधवार को सर्च ऑपरेशन के दौरान मृतक बच्ची की मां यह बात कहते हुए फफक-फफक कर रोने लगती हैं।
पास में ही बैठे बच्ची के पिता के आंखों में भी आसूं आ जाते हैं। वह अपनी पत्नी को हर संभव दिलासा देने की कोशिश करते हैं, फिर भी उनके आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। माता-पिता नहर किनारे एक टक लगाए इस उम्मीद में बैठे थे कि शायद उनकी बच्ची का शव मिल जाए। कभी झाडि़यों के तरफ तो कभी रेस्क्यू कर रही टीम के तरफ बार-बार देख रहे थे।
बच्ची की मां मौके पर मौजूद पुलिस के जवानों से बस एक ही एक ही बात पूछ रही थी कि आखिर मेरी बिटिया कब मिलेगी। पुलिस भी पीड़ित परिवार को दिलासा देती हुई दिखी। नहर किनारे जमीन पर बैठी बच्ची की मां के आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे। उन्होंने कहा कि इंतजार अब लंबा होता जा रहा है। आखिर कब तक मेरी बिटिया का पता चलेगा। पिता को भी अपनी इकलौती बेटी से बहुत लगाव था। नहर किनारे निराशा में डूबे बच्ची के पिता ने रुंधे स्वर में कहा कि घर की चौखट के भीतर आते ही सबसे पहले बेटी का ही नाम ही जुबान पर आता था,
अब घर जाते हैं तो बेटी का नाम जुबान पर आते-आते अटक जाता है, जब ये आभास होता है कि अब वो इस दुनिया में नहीं है। अब वे किसे आवाज दें। आखिरी बार बेटी स्कूल से आई तो, बेटी कह रही थी कि मां आज आपके ही हाथों से ही खाना खाऊंगी। मैंने भी बच्ची की जिद्द पूरी की, और अपने हाथों से ही खाना खिलाया था। मुझे क्या पता था कि अब अपनी बिटिया को खाना नहीं खिला पाउंगी। यह बात कहते हुए फिर से मां रोने लगती है।