जबलपुर,। गैवीनाथ मंदिर प्रांगण गढ़ा पुरवा में श्री शिव रामायण महिला मंडल समिति के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के दूसरे दिन भागवत रसिक पंडित श्रवण शास्त्री ने राजा परीक्षित संवाद,शुकदेव जन्म सहित अन्य प्रसंग सुनाया और बताया कि भागवत जी की कथा से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए पंडित श्रवण शास्त्री ने कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गए, उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से जल मांगा, ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके, परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है,
उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया, यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने शाप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा। समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है।
समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहां पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथा के दौरान धार्मिक गीतों पर श्रद्धालु जम कर झूमें। कथा में दूसरे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस दौरान आचार्य अंकुर त्रिपाठी, लोकेश दुबे ने पूजन सम्पन्न कराया। यजमान देवबाला,बी एल, त्रिवेणी श्रीकांत ,आभा विजय,अर्चना रविशंकर आदि व्यास पीठ का पूजन किऐ।
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