- पेपर लीक पर सरकार ‎ने किया ‎विधेयक पेश, हर कोई बोला-जरूरी था

पेपर लीक पर सरकार ‎ने किया ‎विधेयक पेश, हर कोई बोला-जरूरी था

नई दिल्ली । यूपीएससी, नीट, जेईई से लेकर देश में हर बड़ी प्रतियोगी परीक्षा में पेपर लीक होने पर मेहनती छात्रों के लिए मुसीबत हो जाती है। उनकी मेहनत पर पानी ‎फिर जाता है, ऐसे में पेपर लीक समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथान) विधेयक 2024 पेश किया है। इस पर हर कोई ने इसे जरूरी करार ‎दिया है। बीते पांच साल से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे राजस्थान के रहने वाले अभ्यर्थी धीरज विश्नोई कहते हैं कि पेपर लीक एक ऐसी खाईं है जिसमें हमारे सपने, उम्मीदें और उम्र सब डूब जाते हैं। वो कहते हैं कि प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता विश्वास पर ट‍िकी होती है। हम परीक्षार्थी के तौर पर जिस पर भरोसा करके अपने कई साल की मेहनत, त्याग, माता-पिता की कमाई और कठिन परिश्रम लगाते हैं। 




उन्होंने कहा ‎कि लाखों छात्र परीक्षाओं की तैयारी के लिए छोटी-सी उम्र में अपना घर छोड़ देते हैं। ऐसे में सरकार की ओर से सख्त कानून बहुत जरूरी हो जाता है। इधर कोटा में लंबे समय तक कोचिंग श‍िक्षक रहे शश‍ि प्रकाश सिंह कहते हैं कि पेपर लीक जैसी घटनाएं परीक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं। इससे न सिर्फ छात्र बल्कि टीचर्स की मेहनत बर्बाद होती है और उम्मीदें टूटती हैं। कुछ लालची चंद पैसों की खातिर युवाओं में अव‍िश्वास पैदा करते हैं। उन्होंने कहा ‎कि ऐसे में लोक परीक्षा बिल 2024 की वाकई बहुत जरूरत है। इससे परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों को सौ बार सोचना पड़ेगा क्योंकि पकड़े जाने पर उन्हें 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना झेलना पड़ सकता है।




वहीं दिल्ली के जाने माने स्कूल में गण‍ित श‍िक्षक राजीव झा कहते हैं कि इस तरह के बिल आने से बच्चों में प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता पर विश्वास बहाल होगा। ये कानून पेपर लीक माफियाओं पर अंकुश लगाएगा। वहीं दिल्ली पेरेंट्स ऐसोसिएशन की अपराजिता गौतम कहती हैं कि कई पेरेंट्स अपने जीवन की सारी जमापूंजी बच्चों की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा देते हैं। सरकार भी इसकी शुचिता बनाए रखने के लिए नियामक एजेंसियों के जरिये मोटी रकम निवेश करती है, फिर भी इस पर रोक नहीं लग सकी। 

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कई राज्यों में पेपर लीक की वजह से परीक्षाएं रद्द करनी पड़ती हैं और दोबारा करानी पड़ती हैं। खासकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना और गुजरात में पिछले कई सालों में पेपर लीक कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। न सिर्फ राज्य सरकार पर अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ता है बल्कि उसकी छवि खराब होती है, परीक्षार्थियों को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं और स्थानीय प्रशासन को छात्र-अभिभावकों के विरोध का सामना भी करना पड़ता है।

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