- मूलभूत सुविधाओं के न मिलने से ग्रामीणों ने किया लोकसभा चुनाव का बहिष्कार...

गरियाबंद 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के द्वितीय चरण में महासमुंद लोकसभा चुनाव की तिथि के बाद भी बिंद्रा नवागढ़ विधानसभा के नागरिकों ने इस बार लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला ले लिया है। मूलभूत सुविधाओं के लिए पिछले 20 वर्षों से लगातार संघर्षरत मैनपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले गांव के नागरिकों ने 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है जिससे जिला प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं हालांकि जिला प्रशासन अपने दावे कर रहा है कि हम नागरिकों को समझा बूझकर इस क्षेत्र में मतदान के लिए मना ही लेंगे बिंद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र वैसे भी धुर नक्सली क्षेत्र में आता है और वहां लगातार पुलिस और नक्सलियों के बीच दर्जन पर से अधिक बड़ी मुठभेड़ हुई है 2023 विधानसभा के दौरान भी इसी विधानसभा में नक्सलियों और आईटीबीटी के बीच मदभेद हुई थी जिसमें एक जवान शहीद हो गया था। आजादी के बाद भी 30 से ज्यादा गांवों में आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे ग्रामीण, विरोध के लिए अनोखा फैसला सबने एक राय होकर किया चुनाव बहिष्कार का फैसला गांवों के प्रमुख लोगों की बैठकों का दौर निरंजन है जारी। स्थानीय ग्रामीण नागरिकों के विरोध के कारण गरियाबंद जिले के उदंती अभ्यारण्य के भीतर बसे 30 से भी ज्यादा गांव में अचानक की लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों के बैनर पोस्टर गायब हो गए। नागरिकों द्वारा गांवों के अंदर से चुनावी बैनर पोस्टर हटाकर, चुनाव बहिष्कार के लिए बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है । ग्रामीणों का आरोप है, कि पिछले 20 सालों से मूलभूत सुविधाओं की मांग के लिए जूझ रहे, इसी कारण वहां के लोगों ने इस बार मतदान नहीं करेंगे। वहीं  प्रशासन का दावा है, कि चुनाव बहिष्कार नहीं होगा, मांगे पूरी की गई है। उदंती सीतानदी अभ्यारण के भीतर बसे अनेक गांव में इन दिनों चुनाव बहिष्कार को लेकर बैठकों का दौर शुरू है। प्रशासन के नुमाइंदे स्थानीय लोगों को समझाने के प्रयास में लगे हुए हैं, साथ ही चुनाव जागरूकता अभियान के बावजूद कई गांव आज भी चुनाव बहिष्कार के लिए अड़े हुए है। जानकारी अनुसार मैनपुर विकासखंड के साहेबिन कछार से भी बहिष्कार का निर्णय लेने ग्रामीणों ने बैठक की है। ग्राम पंचायत साहेबिन कछार के अलावा इस पंचायत के आश्रित ग्राम नागेश, करलाझर व कोदोमाली के लोगो को बुलाया गया था। ग्राम के पूर्व सरपंच ,ग्राम के प्रमुख लोगों ने बैठक में   समस्या को गिनाया फिर समाधान के लिए पिछले 20 साल किए संघर्ष को बताया गया। कहा गया की कोई भी राजनीतिक दल उनकी समस्या को नही सुलझा पाया, सभी केवल उनका मतदान के इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीणों ने इस बार किसी  राजनीतिक पार्टी को वोट नही देने का संकल्प लेकर 2014 में किए गए चुनाव बहिष्कार की तरह इस बार भी बहिष्कार को सफल बनाने का निर्णय लिया गया है। जिसमें सभी ने अपनी सहमति दे दी है। 20 पंचायत के द्वारा गठित किसान संघर्ष मोर्चा ने पहले 4 अप्रैल को प्रशासन के पास अपना ज्ञापन सौंपकर अपनी लंबित मांगे पूरी करने कहा गया था, उसके बाद 15 अप्रैल को जिला प्रशासन को एक और ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा मांगे नहीं मानी गई। इसलिए अब लोकसभा चुनाव बहिष्कार के फैसले को अंतिम रूप देने आज आम सहमति बनाई गई।  आज हुई किसान संघर्ष समिति के बैनर तले बैठक में पिछले एक सप्ताह से कुल 18 गांव के प्रतिनिधि शामिल थे। इन सभी पंचायतों में विरोध से लोकसभा चुनाव बहिष्कार का व्यापक असर दिखेगा।

Comments About This News :

खबरें और भी हैं...!

वीडियो

देश

इंफ़ोग्राफ़िक

दुनिया

Tag