- खुदरा महंगाई दर मार्च में घटकर 4.9 फीसदी हुई: आरबीआई

नई दिल्‍ली देश में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर तेज होने की स्थितियां बन रही हैं। लेकिन, लंबे समय तक वैश्विक स्तर पर तनाव के साथ प्रतिकूल मौसम की घटनाएं होने से महंगाई का जोखिम पैदा हो सकता है। आरबीआई के अप्रैल बुलेटिन में यह कहा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर मार्च में घटकर 4.9 फीसदी हो गई। इससे पहले पिछले दो महीनों में यह औसतन 5.1 फीसदी रही थी। रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति का निर्धारण करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई को ध्यान में रखता है। केंद्रीय बैंक ने फरवरी, 2023 से ही रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है। लेख के मुताबिक हालांकि निकट अवधि में प्रतिकूल मौसमी घटनाओं के साथ लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव के कारण मुद्रास्फीति का जोखिम पैदा हो सकता है। आर्थिक वृद्धि के रुझान में बदलाव के विस्तार के लिए स्थितियां बन रही हैं। इसने 2021-24 के दौरान औसत वास्तविक जीडीपी वृद्धि को आठ प्रतिशत से ऊपर पहुंचाया है। अगले तीन दशकों में अपनी विकासपरक आकांक्षाओं को हासिल करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले दशक में अपने जनसंख्या संबंधी लाभों का फायदा उठाने के लिए 8-10 प्रति वर्ष की दर से बढ़ना होगा। भारत को जनसंख्या संबंधी लाभ वर्ष 2055 तक मिलता रहेगा।

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