महिलाओं की शिकायत के 24000 मामले लंबित भोपाल महिलाओं को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार बड़े-बड़े दावे करती है। महिला सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। हकीकत ठीक इसके विपरीत है। मध्य प्रदेश महिला आयोग मे 24000 से ज्यादा शिकायतें आयोग में लंबित है। 2018 से महिला आयोग में कोई भी सुनवाई नहीं हुई है। पिछले 7 साल से महिला आयोग मे अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने के कारण, सारी शिकायतें लाल बस्ते में बांधकर रखी जा रही हैं।महिलाएं आयोग के चक्कर पर चक्कर लगा रही हैं।सरकार 7 साल में महिला आयोग के अध्यक्ष और उसके सदस्यों की नियुक्ति नहीं कर पाई। यही वास्तविक सच है। 2019 में जब कमलनाथ की सरकार बनी थी। उस समय शोभा ओझा को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। सदस्यों की नियुक्ति भी की गई थी। 18 माह के बाद सरकार बदल गई है। शिवराज सिंह चौहान की नई सरकार आ गई।भाजपा सरकार ने शोभा ओझा की नियुक्ति को नहीं माना। यह मामला कोर्ट पहुंच गया।सास बहू के झगड़े में हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मध्य प्रदेश में कोई राहत नहीं मिल पा रही है। महिला आयोग में पिछले 7 साल से सुनवाई नहीं होने के बाद भी,न्याय की आस में 8 से 10 शिकायतें रोजाना महिलाओं द्वारा आयोग में की जाती हैं। यहां पर कहा जाता है, वह अपनी शिकायतों को लेकर संबंधित महिला थाने या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जाएं।महिलाएं यहां से वहां भटकती हैं। इससे अच्छा है, सरकार महिला आयोग के अस्तित्व को ही समाप्त कर दे। महिलाओं को भटकना तो नहीं पड़ेगा।