- MP News: सीहोर जिले के कई जिलों के किसानों ने शुक्रवार को सोयाबीन के कम भाव को लेकर अविश्वास में सीधा विरोध प्रदर्शन किया.

MP News: सीहोर जिले के कई जिलों के किसानों ने शुक्रवार को सोयाबीन के कम भाव को लेकर अविश्वास में सीधा विरोध प्रदर्शन किया.

MP News: सोयाबीन के खाते में किसानों ने कहा कि आज सोयाबीन की ताकत आठ साल पुरानी है. अगर किसान इस भाव में सोयाबीन बेचेंगे तो खेती कैसे मुनाफे में रहेगी. सोयाबीन की फसल के कम भाव मिलने से किसान कर्ज के दलदल में फंसते जा रहे हैं. सोयाबीन में इस समय कीट लग गए हैं.

कई किसानों की सोयाबीन की फसल बंजर हो गई है. वहीं कई किसानों की फसल की लागत भी खराब हो रही है. इसके चलते किसान इलेक्ट्रॉनिक सोयाबीन बेचने को मजबूर हो रहे हैं. इसी तरह कई किसानों ने सोयाबीन के सबूत में लिखित सबूत दिए हैं. इससे किसान पहले से ही परेशान हैं. ऐसे समय में अनाज मंडी में सोयाबीन की फसल का भाव चार हजार रुपए प्रति शेयर चल रहा है। इससे किसानों में असंतोष है।

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किसानों का कहना है कि सोयाबीन का भाव कम होने से वे अपनी लागत भी नहीं निकाल पाएंगे, आंशिक नुकसान होने से किसान कर्ज के दलदल में फंस जाएगा। उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर कहा...सोयाबीन के कम भाव को लेकर शुक्रवार को किसानों का सब्र जवाब दे गया। चंदेरी, अमरोख, खमरिया सहित अन्य जिले के किसानों ने फसल खेत में डूबकर सोयाबीन के कम भाव के विरोध में अनूठा विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने बताया कि सोयाबीन का भाव चार हजार रुपए के आसपास है, जो पिछले आठ साल का है।

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हर चीज की बिक्री बढ़ गई है, लेकिन सोयाबीन का भाव अभी भी जस का तस है। जिले के किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की है कि सोयाबीन की फसल का भाव छह हजार से अधिक होना चाहिए। साथ ही किसानों को लाभ मिलना चाहिए, नहीं तो खेती का सौदा होने लगा है। इस अवसर पर किसान व फ्लिपकार्ट के नेतृत्व में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि सोयाबीन के कम भाव के कारण किसान कर्ज के धंधे में फंसते जा रहे हैं।

अगर यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे। किसान दुर्गा प्रसाद मावे, पंकज विश्राम, मोहन पटेल, समर सिंह, मोर सिंह, सुमेर सिंह, राजमल मेवा, गोविंद मेवा, संजय अग्रवाल व राकेश मेवा ने कहा कि अगर खेती फायदे का सौदा है तो सरकार को खेती की ओर ध्यान देना चाहिए। इस बारे में जानकारी दी जाएगी।

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