- MP News: दमोह के किसान ने यूट्यूब से सीखकर बनाया गोबर गैस प्लांट, हर दिन 20 लोगों के लिए बन रहा खाना, साथ ही मिल रही जैविक खाद किसान कमल सिंह लोधी ने अपने बेटों के साथ मिलकर यूट्यूब पर गोबर गैस प्लांट बनाना सीखा और फिर उसे घर पर ही बना लिया।

MP News: दमोह के किसान ने यूट्यूब से सीखकर बनाया गोबर गैस प्लांट, हर दिन 20 लोगों के लिए बन रहा खाना, साथ ही मिल रही जैविक खाद किसान कमल सिंह लोधी ने अपने बेटों के साथ मिलकर यूट्यूब पर गोबर गैस प्लांट बनाना सीखा और फिर उसे घर पर ही बना लिया।

MP News: अब उसी गैस से उनके घर में खाना पक रहा है। गोबर गैस प्लांट से गैस के साथ-साथ जैविक खाद भी मिल रही है। दमोह जिले के बटियागढ़ विकासखंड के गढ़ोलाखारा ग्राम पंचायत के एक किसान ने यूट्यूब से गोबर गैस बनाने का तरीका सीखा और घर पर ही गोबर गैस प्लांट लगा लिया। आज इस प्लांट से निकलने वाली गैस से उनके घर में खाना पक रहा है। 

गांव के अन्य किसान जब इस प्रयोग को देख रहे हैं तो इसकी तारीफ भी कर रहे हैं। दरअसल दमोह जिले के बटियागढ़ विकासखंड के गढ़ोलाखारा ग्राम पंचायत के किसान कमल सिंह लोधी का परिवार चूल्हा जलाने के लिए गैस पर निर्भर है, लेकिन ये एलपीजी नहीं है। किसान ने अपने मवेशियों के गोबर से चूल्हा जलाने का इंतजाम कर लिया है। कमल सिंह लोधी ने बताया कि उन्होंने अपने बेटों के साथ यूट्यूब पर गोबर गैस प्लांट तैयार करना सीखा और घर पर ही बना लिया। अब उसी गैस से घर पर खाना बन रहा है।

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गोबर गैस प्लांट से गैस के साथ-साथ जैविक खाद भी मिलती है, जो फसलों के लिए संजीवनी का काम करती है। इसके निर्माण के दौरान एक ओवरफ्लो पाइप डाला जाता है, जब टैंक में गोबर भर जाता है तो जैविक खाद के रूप में यह पाइप से निकलने लगता है। इसमें नाइट्रोजन की मौजूदगी के कारण यह फसल के लिए फायदेमंद होता है। हमारे परिवार में इस प्लांट से निकलने वाली गैस पर 20 लोगों का खाना पकता है और तब भी गैस की बचत होती है। इस गोबर गैस की कीमत करीब 40 से 50 हजार रुपये है।

कभी भी बंद हो सकता है टेलीग्राम

ईंधन के रूप में होता है इस्तेमाल सबसे बड़ी बात यह है कि गोबर गैस कृत्रिम गैसों जितनी हानिकारक नहीं होती। इसमें कई गैसों का मिश्रण होता है, जो जैविक यौगिक यानी गोबर के हवा की अनुपस्थिति में सड़ने पर प्राकृतिक रूप से बनता है। गोबर गैस में मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैस का मिश्रण होता है, जो इसे ज्वलनशील बनाता है, यानी एक ऐसी गैस जो आग पकड़ती है। इस तरह इसका इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जाता है। गोबर गैस गाय और भैंस के गोबर से बनी गैस है, जिसका इस्तेमाल घर में खाना बनाने के लिए किया जाता है। वहीं, इस्तेमाल के बाद गैस चैंबर से निकलने वाले गोबर का इस्तेमाल जैविक खाद के रूप में किया जाता है।

गोबर गैस के फायदे चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी की जरूरत नहीं पड़ती।

ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर चूल्हे जलाए जाते हैं, जिससे धुएं से राहत मिलती है और कम समय में खाना तैयार हो जाता है।

गोबर घर पर ही उपलब्ध होता है, इसलिए बाजार से गैस सिलेंडर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती।

खुद के पैसों से बनाया गोबर गैस प्लांट बटियागढ़ कृषि अधिकारी दिनेश पटेल ने बताया कि किसान कमल सिंह लोधी नई तकनीक अपना रहे हैं। बटियागढ़ क्षेत्र के किसानों को नई तकनीक की ओर आगे आना चाहिए।

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