- अफ्रीका में अकाल! ज़मीन, जानवर और इंसान सूख गए।

अफ्रीका में अकाल! ज़मीन, जानवर और इंसान सूख गए।

इस साल फरवरी 1981 के बाद से जिम्बाब्वे में सबसे सूखा महीना रहा। इसका असर बोत्सवाना और अंगोला के कुछ इलाकों पर भी पड़ा। यह मलावी और मोजाम्बिक के इतिहास में तीन सबसे सूखे महीनों में से एक था।

 

जाम्बिया, मलावी, जिम्बाब्वे, माली, बोत्सवाना, अंगोला, मोजाम्बिक जैसे अफ्रीकी देश पिछले चार दशकों के सबसे खराब सूखे का सामना कर रहे हैं। इस साल यह सूखा फरवरी के महीने में ही शुरू हो गया था। जो अभी भी जारी है।

 

Read also :- -  UPSC ESE 2025:- इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के लिए आवेदन शुरू, फरवरी में होगी परीक्षा, देखें पात्रता

 

बारिश नहीं हुई। इसका कारण अल नीनो प्रभाव बताया जा रहा है। इसकी वजह से ही इतने लंबे समय तक सूखा कायम रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा सूखा 10 साल में एक बार आता है। लेकिन अल नीनो की वजह से इसके आने और लंबे समय तक बने रहने की संभावना दोगुनी हो जाती है।

 

 

यूरोपीय देशों में भी इसी तरह के मौसम का असर रहा। नीदरलैंड, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम ने इस साल अल नीनो की वजह से भयंकर सूखे का सामना किया है। इसलिए वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने के लिए अध्ययन शुरू किया कि किस महाद्वीप पर अल नीनो का किस तरह का प्रभाव पड़ा है। या पड़ रहा है।

 

अल नीनो के कारण अफ्रीकी देशों में बारिश नहीं हुई। बहुत गर्मी थी। सूखा पड़ा। फसल नहीं हुई। जो भी फसलें थीं, वे नष्ट हो गईं। नदियाँ सूख गईं। पानी के दूसरे स्रोत सूख गए। पानी की भारी कमी है। नदियाँ, इंसान, जानवर, सब कुछ सूख रहा है। इस तरह के मौसम के कारण अफ्रीका के कृषि क्षेत्र को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। अफ्रीकी हॉर्न और दक्षिणी अफ्रीकी देशों की हालत बहुत खराब है।

Comments About This News :

खबरें और भी हैं...!

वीडियो

देश

इंफ़ोग्राफ़िक

दुनिया

Tag