- गगनयान पर लगातार नजर रखने के लिए इसरो ऑस्ट्रेलियाई द्वीप पर ट्रैकिंग स्टेशन बनाएगा

गगनयान पर लगातार नजर रखने के लिए इसरो ऑस्ट्रेलियाई द्वीप पर ट्रैकिंग स्टेशन बनाएगा

गगनयान अंतरिक्ष में एक दिन तक लगातार धरती की परिक्रमा करेगा। इस पर 24x7 नजर रखने के लिए इसरो ऑस्ट्रेलिया के कोकोस (कीलिंग) द्वीप पर ट्रैकिंग स्टेशन बनाएगा। इस काम में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक और अंतरिक्ष एजेंसी भी मदद कर रही है। आइए जानते हैं इस द्वीप के बारे में...

 

लॉन्च के बाद इसरो गगनयान पर 24x7 नजर रखने के लिए ऑस्ट्रेलिया के पास कोकोस (कीलिंग) द्वीप पर अस्थायी ट्रैकिंग बेस बनाएगा। भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम इस द्वीप का दौरा कर चुकी है। साथ ही कहा गया है कि यह जगह ग्राउंड ट्रैकिंग स्टेशन बनाने के लिए बिल्कुल सही है। यह जानकारी ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख एनरिको पलेर्मो ने एक अंग्रेजी अखबार को दी।

 

कोकोस (कीलिंग) द्वीप पर ट्रैकिंग के लिए जरूरी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इस काम में ऑस्ट्रेलिया भी भारत की मदद कर रहा है। क्योंकि यहां से गगनयान के प्रक्षेप पथ पर पूरी तरह से नजर रखी जा सकेगी। टेलीमेट्री और कंट्रोल को नियंत्रित किया जा सकेगा। ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी इस मिशन में इसरो के साथ जुड़ना चाहती है।

 

एनरिको ने कहा कि हम आपातकालीन परिस्थितियों में भी इसरो की मदद करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए भी योजना बनाई गई है। हम गगनयान के प्रक्षेप पथ पर नजर रखेंगे। अगर कुछ भी गलत होता है, अगर अंतरिक्ष यात्री को मिशन को रोकना पड़ता है या अगर चालक दल ठीक हो जाता है, तो हम भारतीय वैज्ञानिकों के साथ खड़े रहेंगे।

 

कोकोस (कीलिंग) द्वीप हिंद महासागर में 27 छोटे प्रवाल द्वीपों का एक समूह है, जो ऑस्ट्रेलिया की समुद्री सीमा से थोड़ा बाहर है। इनमें से केवल दो द्वीपों, वेस्ट आइलैंड और होम आइलैंड पर लोग रहते हैं। यहां करीब 600 लोग रहते हैं, जिन्हें कोकोस मलय कहा जाता है। ज्यादातर सुन्नी मुसलमान हैं। लेकिन मलय भाषा बोलते हैं। इस द्वीप का पूरा रखरखाव ऑस्ट्रेलियाई सरकार करती है।

गगनयान पर नजर रखने के लिए रिले सैटेलाइट

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इसरो प्रमुख डॉ. सोमनाथ ने कुछ समय पहले कहा था कि इसरो सबसे पहले गगनयान मिशन के लिए रिले सैटेलाइट लॉन्च करेगा। ताकि धरती के चारों तरफ से गगनयान से संपर्क किया जा सके। इसकी निगरानी की जा सके। इसके अलावा हम GSAT सैटेलाइट के ज़रिए भी संपर्क में बने रहेंगे। इन सैटेलाइट को अमेरिका से स्पेसएक्स के फाल्कन रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया जाएगा

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