- ' Akhilesh Yadav:- मेरे साथ भी ऐसा ही धोखा हुआ...' अखिलेश ने बताया क्यों तोड़ा बीएसपी से गठबंधन

' Akhilesh Yadav:- मेरे साथ भी ऐसा ही धोखा हुआ...' अखिलेश ने बताया क्यों तोड़ा बीएसपी से गठबंधन

' Akhilesh Yadav:-  सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शनिवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने लोगों को हिंदी दिवस की बधाई दी। उन्होंने यह भी बताया कि 2019 के बाद सपा-बसपा के बीच गठबंधन क्यों टूट गया।हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। इसी क्रम में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी हिंदी दिवस की बधाई दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि हिंदी और उर्दू को लेकर आजादी के दीवानों में क्रांति आई थी। जितना हम हिंदी भाषा का सम्मान कर रहे हैं, उतना ही हमें दूसरी भाषाओं का भी सम्मान करना होगा।

अखिलेश यादव ने बसपा से गठबंधन टूटने पर भी दी प्रतिक्रिया

दान, शौर्य और त्याग का कर्ण से बड़ा कोई उदाहरण नहीं है। राजनीति में विचारों, सिद्धांतों को लेकर जो भी त्याग करना पड़ेगा, हम वह त्याग करेंगे। इस दौरान अखिलेश ने बसपा से गठबंधन टूटने पर भी प्रतिक्रिया दी।अखिलेश यादव ने कहा कि कुछ परिस्थितियां ऐसी रहीं, जिनकी वजह से गठबंधन नहीं चल पाया। जिस समय बसपा से गठबंधन टूटने का ऐलान हुआ, उस समय मेरे बाएं बैठे एक बसपा नेता ने कहा कि ऐसा धोखा मुझे भी मिला था और आपको भी मिला है। इस दौरान उन्होंने मंगेश यादव एनकाउंटर पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पूरा पुलिस महकमा साजिश और झूठी कहानियां गढ़ने में लगा हुआ है।

2019 में टूटा था सपा-बसपा गठबंधन

उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सपा और बसपा का गठबंधन टूट गया था। गठबंधन क्यों टूटा, इसको लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने बयान भी दिया था। एक कार्यक्रम के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं को समाजवादी पार्टी से गठबंधन टूटने की वजह भी बताई थी।

मायावती ने कहा कि 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया था। आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें यूपी की 80 सीटों में से सपा ने 37 और बसपा ने 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसके अलावा जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी गई थीं। इसके बाद सपा को सिर्फ पांच सीटें मिलीं, जबकि बसपा 10 सीटें जीतने में कामयाब रही।

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