केरल उच्च न्यायालय: केरल उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी महिला के खिलाफ केवल अपशब्दों का प्रयोग करना उसका अपमान नहीं है।
केरल उच्च न्यायालय: केरल उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्देशक श्रीकुमार मेनन के खिलाफ एक आपराधिक मामला खारिज कर दिया है, जिस पर एक प्रमुख मलयालम अभिनेत्री ने उसे गाली देने और बदनाम करने का आरोप लगाया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि किसी महिला के खिलाफ केवल अपशब्दों का प्रयोग करना उसका अपमान नहीं है। न्यायमूर्ति एस मनु ने निर्देशक श्रीकुमार मेनन की याचिका पर यह आदेश दिया। श्रीकुमार मेनन मोहनलाल अभिनीत 2018 की भारतीय मलयालम भाषा की फंतासी ड्रामा फिल्म 'ओडियन' के निर्देशक हैं।
महिला अभिनेत्री ने आरोप लगाया था कि निर्देशक मेनन ने फिल्म 'ओडियन' की शूटिंग, प्रमोशन और रिलीज के दौरान उसे बदनाम किया। अभिनेत्री ने यह भी आरोप लगाया था कि शूटिंग स्थलों पर उसके साथ अभद्र व्यवहार किया गया और उसे मानसिक रूप से परेशान किया गया। अभिनेत्री ने दावा किया है कि मेनन ने दुबई हवाई अड्डे पर लोगों के सामने उसके खिलाफ अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया।
अभिनेत्री की शिकायत के आधार पर मेनन के खिलाफ 2019 में आईपीसी की धारा 354डी (पीछा करना), 294 (बी) (सार्वजनिक स्थान पर अश्लील शब्दों का प्रयोग) और 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द, हाव-भाव या कृत्य) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस द्वारा जांच पूरी करने के बाद मामला मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित था।
अभिनेत्री के अनुसार, मेनन ने उनके फाउंडेशन की गतिविधियों के समन्वय के लिए उनकी कंपनी के साथ किए गए समझौते को समाप्त करने के कारण उनके खिलाफ दुश्मनी के कारण अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की।
महिला अभिनेत्री की दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पीछा करना अपराध नहीं है, क्योंकि किसी महिला का पीछा करके उसे गाली देना या धमकी देना दंडात्मक प्रावधान के दायरे में नहीं आता है।
अदालत ने यह भी माना कि धारा 294 (बी) के तहत अपराध इस मामले में लागू नहीं होगा, भले ही मेनन द्वारा दुबई एयरपोर्ट पर महिला अभिनेत्री के खिलाफ इस्तेमाल किए गए शब्द अपमानजनक हों और शिकायतकर्ता को ठेस पहुंचाते हों।
हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 509 के तहत अपराध तभी माना जाएगा, जब अश्लील शब्द किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने या उसकी निजता में दखल देने के इरादे से बोले गए हों। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने या ऐसी महिलाओं की निजता में दखल देने के इरादे के बिना अप्रिय या अपमानजनक शब्दों का उच्चारण करना आईपीसी की धारा 509 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। हाई कोर्ट ने मामले में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट और मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष कार्यवाही को रद्द कर दिया।