मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर काम करते हुए भोपाल के सौरभ शर्मा ने खूब भ्रष्टाचार किया, जिसके खुलासे पूरे देश को चौंका रहे हैं। अब पता चला है कि सौरभ शर्मा ने फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी भी हासिल की थी। सौरभ की मां ने यह बात छिपाई थी कि उसका बड़ा भाई पहले से ही सरकारी नौकरी में है।
पिता डॉ. राकेश कुमार शर्मा की मौत के बाद उनकी मां उमा शर्मा ने मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा को नौकरी दिलाने की साजिश रची। उनका बड़ा बेटा सचिन शर्मा छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी में था, लेकिन उसने झूठा हलफनामा दिया।
नियुक्ति के लिए दिए गए हलफनामे में बड़े बेटे की सरकारी नौकरी का सच छिपाया गया। हलफनामे में लिखा था- बड़ा बेटा अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहता है, वह सरकारी नौकरी में नहीं है।
इस शपथ पत्र के आधार पर सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिल गई और फिर उसने परिवहन विभाग के गुर सीख लिए और मंत्री व अफसरों से नजदीकी बना ली। परिवहन विभाग की काली कमाई का बड़ा हिस्सा वह मैनेज करने लगा।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्न' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं।
youtube- https://www.youtube.com/@bejodratna646
whataapp-https://whatsapp.com/channel/0029VaAG4A190x2t7VvoGu3v
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्न' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं।
youtube- https://www.youtube.com/@bejodratna646
whataapp-https://whatsapp.com/channel/0029VaAG4A190x2t7VvoGu3v
सौरभ के बारे में परिवहन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी दबी जुबान में बताते हैं कि वह एक साधारण सिपाही था, लेकिन उसका रहन-सहन अफसरों जैसा था। वह सूट-बूट पहनता था। परिवहन विभाग में ऊंचे पद पर रहे एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सौरभ को एक मंत्री का वरदहस्त प्राप्त था। वह इतना शातिर था कि वह उन अफसरों और नेताओं की कॉल रिकॉर्ड कर लेता था जो उसे अपना करीबी समझते थे।
मोबाइल के अलावा भी वह ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करता था। जब कोई माननीय व्यक्ति बाहर जाता था तो ड्राइवर भी उसके साथ नहीं जाता था, लेकिन सौरभ उसके साथ जाता था। माननीय व्यक्ति जहां रुकते थे, वहीं सौरभ के रुकने की व्यवस्था होती थी। लेन-देन का सारा गोपनीय काम वही देखता था।