- सौरभ शर्मा की मां ने झूठा हलफनामा देकर दिलाई थी अनुकंपा नियुक्ति, अब पूरा वेतन और भत्ते होंगे वसूल

सौरभ शर्मा की मां ने झूठा हलफनामा देकर दिलाई थी अनुकंपा नियुक्ति, अब पूरा वेतन और भत्ते होंगे वसूल

मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर काम करते हुए भोपाल के सौरभ शर्मा ने खूब भ्रष्टाचार किया, जिसके खुलासे पूरे देश को चौंका रहे हैं। अब पता चला है कि सौरभ शर्मा ने फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी भी हासिल की थी। सौरभ की मां ने यह बात छिपाई थी कि उसका बड़ा भाई पहले से ही सरकारी नौकरी में है।

पिता डॉ. राकेश कुमार शर्मा की मौत के बाद उनकी मां उमा शर्मा ने मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा को नौकरी दिलाने की साजिश रची। उनका बड़ा बेटा सचिन शर्मा छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी में था, लेकिन उसने झूठा हलफनामा दिया।

 

नियुक्ति के लिए दिए गए हलफनामे में बड़े बेटे की सरकारी नौकरी का सच छिपाया गया। हलफनामे में लिखा था- बड़ा बेटा अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहता है, वह सरकारी नौकरी में नहीं है।

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इस शपथ पत्र के आधार पर सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिल गई और फिर उसने परिवहन विभाग के गुर सीख लिए और मंत्री व अफसरों से नजदीकी बना ली। परिवहन विभाग की काली कमाई का बड़ा हिस्सा वह मैनेज करने लगा।

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लोकायुक्त पुलिस ने नियुक्ति संबंधी दस्तावेज

  • जब्त किए भोपाल लोकायुक्त से ग्वालियर आई टीम ने परिवहन मुख्यालय से उनकी नियुक्ति संबंधी दस्तावेज जब्त किए हैं। इसमें शपथ पत्र भी शामिल है। सौरभ के पिता डॉ. राकेश की 20 नवंबर 2015 को मौत हो गई थी।
  • उनके दो बेटे हैं- सचिन और सौरभ। बड़ा बेटा सचिन उस समय सरकारी नौकरी में होने के कारण परिवार के साथ रायपुर छत्तीसगढ़ में था। वर्तमान में सचिन उपसंचालक वित्त हैं।
  • 12 जुलाई 2016 को उमा ने सौरभ की नियुक्ति के लिए शपथ पत्र दिया था। इसमें लिखा था कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकार या निगम बोर्ड, परिषद आयोग में नियमित या कार्यरत नहीं है।
  • छोटा बेटा सौरभ उनकी देखभाल करता है, वे उस पर आश्रित हैं, इसलिए उमा ने शपथ पत्र में लिखा कि सौरभ को नियुक्ति दे दी गई है। अब मां और सौरभ के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज हो सकती है।
  •  एफआईआर के अलावा अगर सरकार को गुमराह कर नौकरी हासिल की गई है तो विभाग में काम करने के दौरान का पूरा वेतन और भत्ते भी वसूले जा सकते हैं।

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अफसरों से लेकर मंत्रियों तक की हर बात रिकॉर्ड करता था

 सौरभ के बारे में परिवहन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी दबी जुबान में बताते हैं कि वह एक साधारण सिपाही था, लेकिन उसका रहन-सहन अफसरों जैसा था। वह सूट-बूट पहनता था। परिवहन विभाग में ऊंचे पद पर रहे एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सौरभ को एक मंत्री का वरदहस्त प्राप्त था। वह इतना शातिर था कि वह उन अफसरों और नेताओं की कॉल रिकॉर्ड कर लेता था जो उसे अपना करीबी समझते थे।

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मोबाइल के अलावा भी वह ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करता था। जब कोई माननीय व्यक्ति बाहर जाता था तो ड्राइवर भी उसके साथ नहीं जाता था, लेकिन सौरभ उसके साथ जाता था। माननीय व्यक्ति जहां रुकते थे, वहीं सौरभ के रुकने की व्यवस्था होती थी। लेन-देन का सारा गोपनीय काम वही देखता था।

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