मध्य प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों के लिए बुरी खबर है। अब हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जो फैसला लिया है, वह सराहनीय है। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा पराली खेतों में जलाई जाती है। यह बेहद चिंताजनक है। इसलिए यह कदम उठाना पड़ा है।
जबलपुर (हाईकोर्ट बार)। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर ने पर्यावरण के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके तहत अब आरोपी का लिखित में बचाव करने के लिए कोई वकील नहीं होगा। इस संबंध में इलेक्ट्रॉनिक्स सभा द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव पर सहमति दे दी गई है।
हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष एडवोकेट धन्य कुमार जैन ने बताया कि भूमि को नुकसान पहुंचने के कारण किसान रासायनिक खादों का अधिक उपयोग करने लगते हैं। इससे फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। हाल ही में पराली जलाने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश का प्रथम स्थान होने की बात उजागर हुई है।
हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ा रुख अपनाया। साथ ही नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव को पेश होने के निर्देश दिए। ये निर्देश जारी होते ही तत्काल प्रभाव से पिछले आदेश का पालन सुनिश्चित किया गया।
इस मामले में 17 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को वर्चुअली पेश होने के निर्देश दिए थे। उसके बाद मुख्य सचिव ने 8 नवंबर को आदेश जारी कर नगर निगम रीवा को बेरोजगारी भत्ता देने को कहा था।
जस्टिस एके सिंह की एकलपीठ ने जवाब को रिकार्ड पर लेते हुए प्रमुख सचिव की अनुपस्थिति को क्षमा किया। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। अवमानना याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश सिंह बघेल पक्ष रख रहे हैं।
22 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग व अन्य को याचिकाकर्ता को 30 दिन के भीतर नियुक्ति देने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि नियुक्ति प्रक्रिया में अनिवार्य कंप्यूटर दक्षता की शर्त की अनदेखी की जाए।
शहडोल निवासी अवमानना याचिकाकर्ता अभिलाष प्रजापति का कहना है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने नगर निगमों में सहायक राजस्व निरीक्षक के 310 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास रखी गई थी।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने साफ कहा कि भर्ती नियमों में दिए गए प्रावधान के तहत ही विज्ञापन में योग्यता रखी जा सकती है। आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका दायर की गई।