सरकार भले ही अस्पतालों में 390 तरह की दवाइयां उपलब्ध कराने का दावा करती हो। लेकिन शहर के दो अस्पतालों 1000 बिस्तर अस्पताल और मुरार अस्पताल में मरीजों को दवाइयां नहीं मिल रही हैं। दवा काउंटर पर बैठे कर्मचारी उन दवाओं को लेकर चक्कर लगा रहे हैं जो अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं।
ग्वालियर. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल जेएएच में भले ही 390 तरह की दवाइयां उपलब्ध होने का दावा किया जा रहा हो, लेकिन मरीजों को दवा स्टोर पर पर्ची पर लिखी सभी दवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
इधर, जिला अस्पताल मुरार में बजट के अभाव में दवाओं की किल्लत बनी हुई है। इसके चलते डॉक्टर मरीजों को सिर्फ तीन दिन की दवाइयां लिख रहे हैं, जबकि इस बार वायरल बुखार के साथ चिकनगुनिया को ठीक होने में दो से तीन महीने लग रहे हैं। इसके चलते मरीजों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। सबसे ज्यादा परेशानी एक हजार बिस्तर वाले अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों को हो रही है। उन्हें कई दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं, जबकि जेएएच में ग्वालियर जिले के अलावा दूसरे राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं।
जेएएच प्रबंधन द्वारा दवा दुकान पर उपलब्ध कराई गई दवाओं की सूची में त्वचा, बीपी, विटामिन, स्त्री रोग की दवाएं शामिल नहीं हैं। मजबूरन मरीजों को बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। डॉक्टर मरीजों के इलाज के लिए पांच से छह तरह की दवाएं लिखते हैं। लंबी कतार में लगने के बाद मरीजों को काउंटर से तीन से चार दवाएं दी जाती हैं।
इसके पीछे एक कारण यह भी है कि डॉक्टर कई बार मरीजों को इलाज के लिए ऐसी दवाएं लिख देते हैं, जो दवा दुकान की सूची में शामिल ही नहीं होती हैं। इसके पीछे वजह बाजार में एडवांस दवाओं का उपलब्ध होना बताया जा रहा है, जो जल्दी असर करती हैं।
सिविल सर्जन कार्यालय को जिला अस्पताल के लिए सीएमएचओ कार्यालय के दवा स्टोर से दवाएं लेनी पड़ रही हैं। ऐसे में दवाओं का स्टॉक तो किसी तरह पूरा हो रहा है, लेकिन मरीजों को दी जाने वाली दवाएं कम पड़ रही हैं। हाल ही में सीएमएचओ कार्यालय के दवा स्टोर से करीब 24 तरह की दवाओं की मांग की गई है। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि लंबे समय से बजट न होने के कारण दवाओं की कमी बनी हुई है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि अस्पताल के विस्तार के बाद 200 बेड के लिए ही बजट मिल पा रहा है।
मरीज ने ये कहा...
सिर्फ दो उपाय दिए गए
एक हजार अस्पतालों के दवा काउंटर पर लाइन में लगने के बाद मैं दवा वितरण खिड़की पर पहुंचा। यहां मुझे दो सुझाव दिए गए, जबकि शीट पर तीन लिखे थे। कर्मचारी ने लाल घेरा देकर कहा कि एक दवा बाहर से खरीद लो।
-नीतू कुशवाह, मरीज।
एक दवा नहीं मिली
त्वचा रोग विभाग में डॉक्टर द्वारा लिखी दवा लेकर दवा काउंटर पर गया। काफी देर लाइन में लगने के बाद जब खिड़की पर पहुंचा तो स्टाफ ने दो दवाएं, एक बाहर से खरीदने को कहा।
-इकबाल खान, मरीज।
डॉक्टर ने पांच तरह की दवाएं लिखीं
ईएनटी विभाग में डॉक्टर ने दवा काउंटर पर पांच तरह की दवाएं लिखी थीं। काउंटर पर चार तरह की दवा बेचने वालों से एक दवा खरीदने को कहा गया है। स्टाफ ने उस पर निशान लगा दिया।
-आकाश परिहार, मरीज।
दवाओं की कोई कमी नहीं है। काउंटर से मरीज को पूरी मदद क्यों नहीं दी जा रही है, इसकी जानकारी ली जाएगी। किसी भी स्थिति में चिंता नहीं होने दी जाएगी।
-डॉ. एवेसिंसा, कैप्टन, जेईएच।
सुपरमार्केट में दवाओं का तीन दिन का स्टॉक है। बजट की मांग को पूरा करने के लिए दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है।
-डॉ. आलोक पुरोहित, प्रभारी, सिविल इंजीनियर।