ग्वालियर में मोहम्मद गौस का मकबरा स्थित तानसेन स्थल पर 14 दिसंबर से शुरू होने वाले इस आयोजन में मुख्य समारोह के उद्घाटन के अवसर पर प्रख्यात तबला वादक पद्मश्री स्वपन चौधरी को वर्ष 2023 का तानसेन रत्न पुरस्कार दिया जाएगा। 14 नवंबर से देश में चार स्थानों पर संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। पहला कार्यक्रम जयपुर के जवाहर कला केंद्र में होगा।
ग्वालियर. अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तानसेन समारोह इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है। ग्वालियर में मोहम्मद गौस की मजार स्थित तानसेन स्थल पर 14 दिसंबर से शुरू होने वाले इस आयोजन में मुख्य समारोह के उद्घाटन के अवसर पर प्रख्यात तबला वादक पद्मश्री स्वपन चौधरी को 2023 का तानसेन रत्न अलंकरण दिया जाएगा। इसी कार्यक्रम में दिया जाने वाला राज मानसिंह तोमर अलंकरण इंदौर की सानंद संस्था को दिया जाएगा।
आयोजन से पहले 14 नवंबर से देश में चार स्थानों पर संगीत के कार्यक्रम होंगे। पहला कार्यक्रम जयपुर के जवाहर कला केंद्र में होगा। इसमें भोपाल के वायलिन वादक पंडित प्रवीण शेवलिकर, चेताली शेवलिकर, तबला वादक डॉ. प्रवीण उद्भव और श्रुतु उद्भव उज्जैन की प्रस्तुति देंगे। इनके अलावा मुंबई की गौरी पठारे का गायन होगा। इसके अलावा वडोदरा गुजरात, खैरागढ़ छत्तीसगढ़, वाराणसी में संगीत के कार्यक्रम होंगे। मप्र के संस्कृति विभाग ने तानसेन शताब्दी समारोह के लिए विशेष तैयारियां की हैं।
आयोजन के प्रचार-प्रसार के लिए प्रोमो, लोगो और वेबसाइट लांच की जाएगी। ध्रुपद की वर्तमान स्थिति, विस्तार और व्यापकता पर आधारित संगोष्ठी 16 से 18 दिसंबर तक चलेगी। इसमें 100 विद्वान भाग लेंगे। इसके अलावा 15 से 17 दिसंबर तक गुरु शिष्य परंपरा, ध्रुपद, ख्याल, टप्पा, दादरा और घराने आदि पर चर्चा और संवाद होगा। हजीरा स्थित परिसर में दुर्लभ वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। प्रदर्शनी में संगीत प्रेमी लोक और शास्त्रीय संगीत के 550 दुर्लभ वाद्य यंत्रों को देख सकेंगे।
समारोह का 100 साल का सफर तस्वीरों के जरिए उनकी आंखों के सामने होगा। इसके लिए क्यूआर कोड की व्यवस्था की जाएगी। इसे स्कैन कर संगीत प्रेमी मोबाइल में यूट्यूब के जरिए 100 साल की प्रस्तुतियों का आनंद ले सकेंगे। 14 से 19 दिसंबर तक चलने वाले समारोह में 150 भारतीय और 10 विदेशी कलाकार गायन और वादन करेंगे।
भारत सरकार से प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के साथ-साथ अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्टिस्ट अवार्ड से सम्मानित कोलकाता के तबला वादक पंडित स्वपन चौधरी लखनऊ घराने से हैं। हाल ही में उन्हें कोलकाता के रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि मिली है। 2016 और फिर 2019 में, स्वपन चौधरी को कैलिफोर्निया पारंपरिक कला के लिए मास्टर/अपरेंटिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
स्वपन चौधरी ने पाँच साल की उम्र में तबला सीखना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी शैली को अपने गुरु, कोलकाता के दिवंगत पंडित संतोष कृष्ण बिस्वास, जो लखनऊ घराने के एक प्रख्यात कलाकार थे, से प्राप्त गहन प्रशिक्षण पर आधारित किया है। संगीत में अकादमिक डिग्री के अलावा, स्वपनजी के पास कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री भी है।
सुधाकर काले ने 1993 में इंदौर में सानंद न्यास की स्थापना की थी। मराठी संस्कृति, साहित्य और कला को समर्पित सानंद न्यास को तानसेन शताब्दी समारोह में 2023 के राजा मानसिंह तोमर अलंकरण से सम्मानित किया जाएगा। पेशे से इंजीनियर सुधाकर काले ने 1993 में इसकी शुरुआत की थी। अभिनय और नाटक समेत तमाम तरह की सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों को सशक्त मंच देने वाली संस्था सानंद न्यास को प्रतिष्ठित बनाने के लिए सुधाकर काले ने शहर के गणमान्य और प्रतिष्ठित लोगों को इससे जोड़ा।
फिर वे मुंबई गए और मराठी नाटकों के वरिष्ठ कलाकारों से इंदौर आकर प्रस्तुति देने का अनुरोध किया। पहला नाटक 1 नवंबर 1994 को रवींद्र नाट्य गृह में मंचित हुआ। यह इतना सफल रहा कि बिना किसी प्रचार-प्रसार के ट्रस्ट के 90 प्रतिशत सदस्य इसमें शामिल हुए। 13 अप्रैल 2006 को सानंद ट्रस्ट ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ को आमंत्रित कर सम्मानित किया। तब यह संस्था राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आई। इस पर शोध करने के लिए बिड़ला इंस्टीट्यूट की टीम आई। वर्तमान में यह 4500 सदस्यों के साथ सक्रिय है।