मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, कटनी और दमोह के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों जंगली जानवरों की आवाजाही से लोग डरे हुए हैं। लोग खेतों से निकलना बंद कर चुके हैं, क्योंकि वे कभी भी कहीं भी दिख सकते हैं। कटनी के बरही इलाके में बाघों की आवाजाही बढ़ गई है, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं।
छिंदवाड़ा के पोआमा वानिकी अनुसंधान केंद्र और परासिया में तेंदुए की आमद से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। सुबह मोरडोंगरी खुर्द में चेतन पवार के खेत में गीली जमीन पर बाघ के पंजे के निशान देखे गए। वहीं दमोह का नाला व्यारमा नदी से जुड़ा हुआ है, भारी बारिश के दौरान मगरमच्छ नाले में आ जाते हैं, जैसे ही नाला खाली होने लगता है, ये मगरमच्छ मिल जाते हैं।
शनिवार रात दमोह के वन परिक्षेत्र झलौन अंतर्गत ग्राम गुहांची के पास नाले के पास एक खेत में मगरमच्छ मिलने की सूचना मिली थी। जिसके बाद वन विभाग की टीम ने तत्काल पहुंचकर निरीक्षण किया और पर्याप्त संसाधन जुटाकर रेस्क्यू कर उसे सफलतापूर्वक पकड़ लिया। उसे पास ही वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व क्षेत्र अंतर्गत व्यारमा नदी में सुरक्षित छोड़ दिया गया।
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मगरमच्छ भी नाला व्यारमा नदी में सुरक्षित है। मगरमच्छ रेस्क्यू के दौरान भगवान दास विश्वकर्मा वन क्षेत्राधिकारी, शंकर सिंह ठाकुर वन क्षेत्राधिकारी, शुभम सिंह वनरक्षक, बाबूलाल रायकवार, उत्तम सिंह चौकीदार आदि मौजूद थे। मगरमच्छ को सुरक्षित रेस्क्यू करने के बाद वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व रात्रि गश्ती दल द्वारा उसे छोड़ा गया।
छिंदवाड़ा में रिहायशी इलाकों में तेंदुए की चहलकदमी के चलते पोआमा इलाके में दिन में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। वन अधिकारियों ने लोगों को अकेले घरों से बाहर न निकलने की हिदायत भी दी है। बच्चों को खेलने के लिए बाहर न भेजने की सलाह दी गई है। इस बीच, वन अमले ने रिहायशी इलाकों में गश्त की। साथ ही, वन क्षेत्र में तेंदुए के पैरों के निशान तलाशे गए।
वन अधिकारियों को पिछले दिनों तेंदुए के मूवमेंट के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई थी। छिंदवाड़ा रेंजर पंकज शर्मा ने बताया कि हमारी टीम लगातार गश्त कर रही है और गुरुवार रात से यहां तेंदुए की कोई हलचल नहीं देखी गई है। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से टीम को तेज रोशनी में गश्त करने को कहा गया है।
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तेंदुए को पकड़ने के लिए कैमरे लगाकर पिंजरा भी लगाया गया है। गौरतलब है कि शहर से करीब 9 किमी दूर परासिया रोड पर पोआमा नर्सरी के पास भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद/कौशल केंद्र के परिसर में तेंदुए की चहलकदमी देखी जा रही है।
परासिया के उमरेठ के मोरडोंगरी खुर्द में बाघ ने दस्तक दी है। खेत की गीली जमीन पर बाघ के पंजे के निशान मिले हैं। वयस्क बाघ के पंजे के निशान मिलने की सूचना वन विभाग और पुलिस को दी गई। दोपहर में वन विभाग और पुलिस की टीम खेत पर पहुंची और पंजे के निशानों के नमूने लिए। पगमार्कों का मिलान किया जा रहा है। बाघ के पगमार्क रिहायशी इलाके में मिले हैं।
मोरडोंगरी खुर्द में चेतन पवार के खेत में गीली जमीन पर सुबह बाघ के पंजे के निशान देखे गए। इसके बाद वन विभाग और पुलिस को सूचना दी गई। खेत मोरडोंगरी खुर्द में है। यह इलाका वन विभाग की सांवरी रेंज के मोरडोंगरी सर्किल में आता है।
सूचना मिलने के बाद मोरडोंगरी सर्किल के डिप्टी रेंजर एसएस मिश्रा, वनरक्षक स्नेहा बेले, सौरभ सिंह चौहान, रविंद्र सोनी, शैलेंद्र वाडिवार और उमरेठ थाने से एएसआई नितेश ठाकुर मौके पर पहुंचे। बाद में रेंजर कीर्ति बाला गुप्ता भी मोरडोंगरी पहुंचीं। मोरडोंगरी खुर्द में शांता पवार का खेत है। इसके पास ही चेतन पवार का खेत है।
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चेतन पवार ने वन विभाग की टीम को बताया कि रात डेढ़ बजे उन्हें कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनाई दी। उनके बाड़े में मवेशी बंधे हैं। रात में वे बाहर गए थे। जब उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया तो वे सो गए। सुबह वे मोटर चालू करने के लिए खेत में गए। मोबाइल पर बात करते समय उन्हें बड़े-बड़े पंजे के निशान दिखाई दिए। इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई। जिस स्थान पर निशान मिले हैं, वहां खेत से लगा हुआ नाला है जो पटपड़ा तक जाता है।
नाला नीमकुही की तरफ से आया है। मोरडोंगरी खुर्द में मिठाई विक्रेता अमरलाल रहते हैं। उस तरफ से खेत में बाघ के आने के निशान मिले हैं। पंजे के निशान 14 से 15 सेमी हैं। खेत में मिले पैरों के निशान 14 से 15 सेमी हैं। कहीं-कहीं 11 गुणा 12 सेमी हैं। जहां ज्यादा नमी है, वहां 17 गुणा 17 सेमी भी हैं।
बाघ के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। नागरिकों को रात में बाहर न निकलने की सलाहडिप्टी रेंजर एसएस मिश्रा ने बताया कि नागरिकों को रात में बाहर न निकलने और सतर्क रहने की सलाह दी गई है। लोगों को सतर्क कर दिया गया है। आसपास के खेतों और घरों में रहने वाले लोगों को रात में बाहर नहीं निकलना चाहिए। पशुशाला के सामने अलाव जलाकर रखने की सलाह दी गई है।
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कटनी में बांधवगढ़ की सीमा से लगे गांवों में बाघों की चहलकदमी फिर बढ़ गई है। आए दिन लोग सड़क किनारे और बस्ती से लगे खेतों में बाघों को देख रहे हैं। रविवार को बफर जोन के जाजागढ़ में एक बाघ बाड़े में घुस आया और एक मवेशी का शिकार कर उसे बस्ती से बाहर खींच ले गया। ग्रामीणों में दहशत फैल गई और ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी। रेंजर समेत वन अमला गांव पहुंचा और ग्रामीणों को खेतों की ओर न जाने की सलाह दी गई है।
जाजागढ़ में रविवार को एक बाघ ने गांव के किसान पवन चौधरी के बाड़े से एक मवेशी का शिकार कर उसे उठाकर गांव से बाहर ले गया। बाघ की आवाज सुनकर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। ग्रामीणों को देखकर बाघ मवेशियों को छोड़कर जंगल की ओर चला गया। ग्रामीणों ने घटना की सूचना वन विभाग को दी। जिसमें रेंजर गोविंद नारायण शर्मा सहित बीट गार्ड व स्टाफ ने गांव पहुंचकर घटना स्थल का निरीक्षण किया।
ग्रामीणों को खेतों व जंगल की ओर न जाने की सलाह भी दी गई। बाघ के गांव के करीब पहुंचने से ग्रामीण भयभीत हो गए। एक दिन पहले शनिवार को बड़वारा वन परिक्षेत्र के बरही से लगे कुआं बीट में बाघ सड़क किनारे गाय का शिकार कर उसे खाते हुए देखा गया था। इससे वहां से गुजरने वाले लोग भयभीत हो गए थे और वाहनों की आवाजाही भी बंद हो गई थी।
लोगों ने बाघ का वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर भी प्रसारित किया था। जिसके बाद वन अमले ने घटना स्थल पर पहुंचकर निरीक्षण किया और कुआं बीट में बाघ की गतिविधि पर लगातार नजर रखी जा रही है। दोनों शनिवार को कुआं बीट में दिखे बाघ और जाजागढ़ में मवेशियों का शिकार करने वाले बाघ अलग-अलग बताए जा रहे हैं।'
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वन अमले के अनुसार कुआं क्षेत्र में इस समय दो बाघ डेरा जमाए हुए हैं। जाजागढ़ में शिकार करने वाले बाघ की बात ही अलग है। कुआं, करेला, जाजागढ़, खितौली, सलैया समेत एक दर्जन गांव बांधवगढ़ की सीमा से सटे हैं और इस कारण यहां आठ से दस बाघ हमेशा घूमते रहते हैं।