साइबर सुरक्षा पर केंद्रित नवदुनिया के अभियान साइबर धोखाधड़ी: जागरूकता ही बचाव है का आयोजन नवदुनिया के भोपाल कार्यालय में विशेष संवाद कार्यक्रम 'संवाद' के रूप में किया गया। शहर के वरिष्ठ नागरिकों से संवाद में साइबर क्राइम सेल के एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र सिंह चौहान और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ नरेंद्र मेंघवानी ने ऑनलाइन धोखाधड़ी और डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय बताए
भोपाल। नवदुनिया के विशेष संवाद कार्यक्रम में साइबर अपराधों की भयावहता को रेखांकित करते हुए शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि तकनीक दोधारी तलवार की तरह है। यह जिस व्यक्ति के हाथ में आएगी, उसका व्यवहार वैसा ही होगा। मोबाइल फोन और इंटरनेट ने हमें डिजिटल दुनिया में ला खड़ा किया है। आज यह हर व्यक्ति की जरूरत बन गया है, लेकिन यहां कदम-कदम पर साइबर ठगों का जाल फैला हुआ है।
उन्होंने कहा कि साइबर ठगी या डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं से बचने के लिए हमें हमेशा सतर्क और सजग रहने की जरूरत है। आज समाज का एक बड़ा वर्ग साइबर अपराधों से पीड़ित है। ऐसे में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता के लिए नवदुनिया का यह अभियान सराहनीय है।
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नवदुनिया के स्थानीय संपादक संजय मिश्रा ने संवाद सत्र में आगंतुकों का स्वागत किया और अभियान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस साइबर ठगी का दायरा व्यापक हो गया है। मौजूदा हालात में जागरूकता ही इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय है। इस ठगी के खतरों की जानकारी देकर और इससे बचने के उपाय बताकर समाज को जागरूक करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है।
एडिशनल डीसीपी चौहान ने कहा कि सड़क पर चलते समय आपको सतर्क रहना होगा ताकि कोई वाहन आपको टक्कर न मारे। साथ ही, आपको खुद पर नियंत्रण रखना होगा ताकि आपका वाहन किसी अन्य वाहन से न टकराए। साइबर क्राइम भी कुछ ऐसा ही है, कई बार लोग फोन और एसएमएस के जरिए आपको ठगने की कोशिश करते हैं। कई बार हम खुद ही ऑनलाइन जाकर बिना जांचे-परखे फर्जी ऐप या जॉब के झांसे में आ जाते हैं।
कोई भी तकनीक इतनी सक्षम नहीं है कि वह आपकी मर्जी के बिना आपके मोबाइल फोन या कंप्यूटर में घुसकर पैसे निकाल सके। लालच, डर और धमकी साइबर अपराधियों के मुख्य हथियार हैं। जबकि इनसे लड़ने के लिए आपके पास जागरूकता का कवच है। जालसाज इंटरनेट मीडिया के जरिए आप तक पहुंचते हैं। वे या तो आपको निवेश या अच्छी नौकरी का लालच देंगे या फिर फर्जी अपराध में फंसाने की धमकी देंगे। आपको खुद लालच से बचना होगा और याद रखना होगा कि अगर आपकी गलती नहीं है तो डरें नहीं।
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संवाद में शामिल वरिष्ठ नागरिकों ने साइबर सुरक्षा से जुड़े सवाल भी विशेषज्ञों के सामने रखे। सत्र के बाद लोगों ने कहा कि जालसाजी से बचाव के लिए ऐसी जानकारी बहुत जरूरी है। अब वे अपने परिजनों और परिचितों को भी यह जानकारी देकर जागरूक करेंगे। ...
जवाब- भारत के किसी भी विभाग का कोई भी अधिकारी डिजिटल गिरफ्तारी नहीं कर सकता। केंद्रीय एजेंसियों को अगर कोई कार्रवाई करनी होती है तो वे मौके पर पहुंचकर स्थानीय पुलिस से संपर्क करती हैं। ऑनलाइन किसी से डरें नहीं, अगर कोई केंद्रीय एजेंसी का प्रतिनिधि बनकर बात करता है तो उसकी शिकायत पुलिस में जरूर करें।
जवाब- हर जगह आधार कार्ड का इस्तेमाल न करें। जहां भी आपकी आईडी मांगी जाए, वहां अपना वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस ही इस्तेमाल करें। आपकी सारी जानकारी आधार कार्ड से जुड़ी होती है। साथ ही लोग इसका दुरुपयोग कर सिम कार्ड खरीद रहे हैं। इसके अलावा बैंक से जुड़े सभी दस्तावेज निजी रखें।
जवाब- व्हाट्सएप हैक करने से पहले ठग आपके फोन पर एपीके फाइल भेजते हैं। उन्हें डाउनलोड करने की बजाय डिलीट कर दें। डाउनलोड होते ही वे आपके मोबाइल का सारा एक्सेस ले लेते हैं और डेटा के साथ पैसे भी चुरा सकते हैं।
सवाल- इंटरनेट पर डेटा कितना सुरक्षित है?
जवाब- आपका डेटा इंटरनेट के अलग-अलग माध्यमों पर होता है। सभी इंटरनेट मीडिया अकाउंट में अनजान लोगों को न जोड़ें। साथ ही पासवर्ड मजबूत रखें ताकि उसे आसानी से हैक न किया जा सके। इसके अलावा अपनी कोई भी निजी या महत्वपूर्ण जानकारी इंटरनेट पर शेयर न करें।
सवाल- हमें कैसे पता चलेगा कि ऐप हमारे डेटा का गलत इस्तेमाल तो नहीं कर रहा?
जवाब- आपके फोन में कई सारे ऐप होते हैं। उनमें से कई ऐप सिर्फ़ आपका डेटा चुराने का काम करते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि आप सिर्फ़ ज़रूरी ऐप ही डाउनलोड करें। प्लेस्टोर पर मौजूद ऐप्स के बारे में जानकारी जुटाएँ और फिर उन्हें मोबाइल में रखें।