अगहन मास की अमावस्या को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोगों ने शनिवार को अमावस्या मनाई तो कुछ लोग रविवार को मना रहे हैं। सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। रविवार को मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है।
अगहन मास की अमावस्या शनिवार से शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों को याद किया और साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित लोगों ने भगवान शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक किया। दूसरे दिन रविवार को स्नान व दान का महत्व है।
इससे पहले शनिवार को प्रमुख मंदिरों में अमावस्या का पर्व मनाते हुए भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया और प्रसाद चढ़ाया गया। शनिवार को अमावस्या सुबह 9:30 बजे शुरू हुई और रविवार को सुबह 11 बजे तक रहेगी।
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शनिवार को पितृ दोष से पीड़ित लोगों ने ब्राह्मणों को भोजन कराया और अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए पिंड दान भी किया। दूसरे दिन रविवार को स्नान का महत्व है क्योंकि 11 बजे तक अमावस्या रहेगी।
अगर आप पवित्र सरोवरों में स्नान करने नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही गंगाजल डालकर पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा और अन्य नदियों का स्मरण करके स्नान का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
अमावस्या के दिन दान करने का विशेष महत्व है। इसलिए आप सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े दान कर सकते हैं। इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों में भी अन्न दान का महत्व बताया गया है।
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ईसाई परिवारों में रविवार से क्रिसमस की शुरुआत हो जाएगी। चर्चों में पर्व का प्रतीक सितारा स्थापित किया जाएगा। 25 दिसंबर को प्रभु यीशु के जन्म तक चर्चों और ईसाई परिवारों में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
फादर सोहनी ने बताया कि ईसाई परिवारों में क्रिसमस का त्योहार 1 दिसंबर से शुरू हो जाता है। 24 दिसंबर को रात 12 बजे प्रभु यीशु का जन्म होने वाला है, इसके प्रतीक के तौर पर चर्च के बाहर सितारा स्थापित किया जाता है। प्रभु के जन्म से पहले आत्म शुद्धि के लिए 1 दिसंबर से 24 दिनों का उपवास शुरू हो जाता है। समुदाय के लोग प्रभु की विशेष पूजा और प्रार्थना करते हैं।
17 दिसंबर से प्रभु यीशु के जन्म की खुशी में कैरोल गीत गाए जाएंगे। कैरोल परियां शहर में रहने वाले विभिन्न समुदाय के लोगों के घर जाकर कैरोल गाएंगी। 24 दिसंबर को रात 11:30 बजे विशेष प्रार्थना सभा होगी। रात 12 बजे प्रभु यीशु का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। परिसर में पवित्र अग्नि प्रज्वलित की जाएगी।
खूब आतिशबाजी होगी। 25 दिसंबर को सुबह 8 बजे विशेष प्रार्थना सभा होगी। प्रभु की आराधना के लिए चर्च दिनभर खुला रहेगा। 31 दिसंबर को विशेष प्रार्थना सभा होगी और नए साल की शुभकामनाओं के लिए प्रार्थना होगी।