आज देशभर में भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान का नाम जपने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि आज अमृत सिद्धि योग और बुधादित्य योग बन रहा है।
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर 14 दिसंबर को अमृत सिद्धि योग में भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जा रही है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में सुबह भगवान दत्तात्रेय का अभिषेक, पूजन और शृंगार के बाद शाम को गोधूलि बेला में महाआरती होगी।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के दत्त मंदिरों में दिगंबर दिगंबर श्रीपाद वल्लभ दिगंबर की स्तुति गूंजेगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, पंचांग की गणना के अनुसार रोहिणी नक्षत्र की उपस्थिति में शनिवार को आ रही दत्त जयंती विशेष मानी जा रही है।
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भारतीय ज्योतिष में अमृत सिद्धि योग को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। व्यावहारिक जीवन में यदि कोई समस्या है तो उस समस्या के समाधान के लिए विशेष पूजा की दृष्टि से अमृत सिद्धि योग का संयोग सबसे उत्तम माना गया है।
इस दौरान भगवान दत्तात्रेय के विशेष पाठ और मंत्रों का जाप या जाप करने से रोग दूर होते हैं। बंधन, बाधा समाप्त होती है। विशेष योग के अंतर्गत गुरु मार्ग से भगवान दत्तात्रेय की पूजा करनी चाहिए।
पंचांग की गणना के अनुसार दत्त जयंती पर अमृत सिद्धि योग है, मूल रूप से सूर्य बुध के वृश्चिक राशि में होने से बुध आदित्य योग का बनना भी अपने आप में विशेष है।
कहा जा सकता है कि बुध आदित्य योग के संयोग में यदि कोई पूजा की जाए तो उसका प्रभाव पूरे वर्ष तक रहता है। इसलिए इस दिन मनोवांछित फल पाने के लिए भगवान दत्तात्रेय की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
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दत्तात्रेय जयंती पर महाकाल मंदिर के हाथी द्वार के निकट स्थित प्राचीन दत्त मंदिर में भगवान का प्रकटोत्सव मनाया जाएगा। पुजारी संजय दिवटे ने बताया कि वासुदेव सरस्वतीजी टेमरे स्वामीजी महाराज ने इसी स्थान पर ओडुम्बर (गूलर) वृक्ष के नीचे विश्राम किया था।
आज भी वह ओडुम्बर वृक्ष और स्वामीजी की चरण पादुका इस मंदिर में मौजूद हैं। दिवटे ने बताया कि टेमरे स्वामीजी महाराज को भगवान दत्तात्रेय का अवतार माना जाता है। दत्त जयंती पर सुबह भगवान का अभिषेक पूजन किया जाएगा। शाम को गोधूलि बेला में महाआरती की गई।