कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण के प्रसार को देखते हुए जेल प्रशासन ने अच्छे आचरण वाले कैदियों को पैरोल पर रिहा किया था। कोरोना संक्रमण के दौरान कई बार पैरोल अवधि बढ़ाई गई। लेकिन, अब तक कई कैदी जेल वापस नहीं लौटे हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने पिछले महीने इस मसले पर सख्ती दिखाई थी।
रायपुर सेंट्रल जेल से सात ऐसे कैदी हैं, जो पैरोल पर रिहा होने के बाद वापस नहीं लौटे। एक कैदी दिसंबर 2002 से लापता है। इनमें से ज्यादातर कैदी हत्या के मामले में जेल में बंद थे। जेल और पुलिस प्रशासन ने इन कैदियों की कई बार तलाश की, लेकिन अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिल सका है। प्रदेश भर में ऐसे कैदियों की संख्या करीब 70 है।
अब जेल प्रशासन इन कैदियों के लौटने का इंतजार कर रहा है। सूचना के अधिकार के तहत रायपुर जेल के वारंट अधिकारी ने जानकारी दी है कि सात कैदी पैरोल पर रिहा होने के बाद से वापस नहीं लौटे हैं। इसके मुताबिक हत्या के मामले में जेल में बंद शिवकुमार उर्फ मुन्ना 5 दिसंबर 2002, गणेश देवांगन 23 जुलाई 2008, संजीत उर्फ सुजीत 8 सितंबर 2010, कृष्ण कुमार 31 अगस्त 2013, राजीव कुमार 2 अप्रैल 2020, रूपेंद्र साहू 21 नवंबर 2022 और नरेंद्र श्रीवास 18 जनवरी 2024 को पैरोल पर जेल से रिहा हुए थे।
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जेल मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पिछले महीने हाईकोर्ट में पैरोल पर गए कैदियों के वापस नहीं लौटने के मामले में चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डबल बेंच ने इस मसले पर सख्ती दिखाई थी। चीफ जस्टिस ने डीजीपी जेल को हलफनामे के जरिए ताजा रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
इसके बाद डीजी जेल की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि राज्य की पांच सेंट्रल जेलों में बंद 83 कैदी पैरोल से वापस नहीं लौटे हैं, जिनमें से 10 गिरफ्तार हुए और तीन की मौत हो गई। अभी भी राज्य भर की जेलों से करीब 70 कैदी पैरोल से छूटने के बाद वापस नहीं लौटे हैं।
केन्द्रीय जेल बिलासपुर से पैरोल पर गए 22 कैदी वापस नहीं लौटे। परिजनों को बार-बार सूचना देने के बाद भी जब कैदी वापस नहीं लौटे तो जेल प्रबंधन ने संबंधित थानों को फरार कैदियों की सूचना दी। प्रबंधन की मानें तो फरार कैदियों के संबंध में थानों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।
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सजायाफ्ता कैदियों के जेल वापस नहीं लौटने से जेल प्रशासन चिंतित है। बिलासपुर जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने बताया कि न्यायालय के निर्देश पर कैदियों को पैरोल के बाद तय अवधि के बाद जेल वापस लौटना होता है। अधिकांश कैदी वापस लौट आते हैं। लेकिन, 22 कैदी ऐसे भी हैं जो जेल से बाहर तो आए लेकिन वापस नहीं लौटे।
कोरोना महामारी के दौरान फैलते संक्रमण को देखते हुए जेल प्रशासन ने अच्छे आचरण वाले कैदियों को पैरोल पर भेजा था। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौरान कई बार पैरोल अवधि बढ़ाई गई। वापस नहीं लौटने वालों में इनकी संख्या ज्यादा है।
छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जगदलपुर और अंबिकापुर में कुल पांच केंद्रीय जेल हैं। इसके अलावा 12 जिला और 16 उप जेल हैं। केंद्रीय जेलों के अलावा इन जेलों में भी कैदियों को राहत दी गई। कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया।
इनकी संख्या और वापसी के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है। जानकारों का कहना है कि अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर गए अधिकांश कैदियों को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। ऐसे में जेल प्रबंधन के पास भी इन कैदियों की संख्या के बारे में सटीक जानकारी नहीं है।