पुलिस की सेटिंग के चलते देर रात तक खुली रहने वाली पान की दुकानों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है। इसका नतीजा यह है कि शहरवासियों को बढ़ते अपराध का सामना करना पड़ रहा है। छोटी-छोटी बातों पर बड़ी-बड़ी घटनाएं हो रही हैं।
जिन पर अपराध रोकने की जिम्मेदारी दी गई है, वे खुद ही आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। पुलिस संरक्षण में खुले पान के ठेले और दुकानें भी युवाओं के बीच विवाद, लड़ाई-झगड़े और झड़प की वजह बन रही हैं, क्योंकि संबंधित थाने की पुलिस इन्हें देर रात तक खुले रखने की छूट दे रही है।
इसी वजह से यहां पान, सिगरेट, गुटखा और नशीले पदार्थ खरीदने के लिए युवाओं की भीड़ लगी रहती है। अक्सर छोटी-छोटी बातों पर बड़ी घटना हो जाती है। अगर देर रात तक खुली रहने वाली इन पान की दुकानों को बंद करा दिया जाए तो काफी हद तक अपराध कम हो सकते हैं।
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पुलिस की सेटिंग के चलते देर रात तक खुली रहने वाली पान दुकानों पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है। इसका नतीजा यह है कि शहरवासियों को बढ़ते अपराध के रूप में भुगतना पड़ रहा है। शहर में एक बार फिर आपराधिक गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। पुलिस भी इस पर लगाम नहीं लगा पा रही है।
इसका एक कारण यह भी है कि पुलिसिंग कम और दोस्ती व सेटिंग ज्यादा देखने को मिल रही है। यह सेटिंग थाना स्तर पर चलती है और विभाग के आला अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगती। आला अधिकारियों को लगता है कि सब कुछ सही चल रहा है और सही पुलिसिंग चल रही है। लेकिन, हकीकत कुछ और ही है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण शहर में देर रात तक खुली रहने वाली पान दुकानें हैं। मंगलवार को नईदुनिया की टीम ने जब देर रात तक खुली रहने वाली पान की दुकानों और ठेलों का जायजा लिया तो सामने आया कि ये पान दुकान मालिक बेखौफ हैं। यह भी सामने आया कि गश्त करने वाले लोगों से इनकी गजब सेटिंग है। इन्हें रोजाना या साप्ताहिक पैसा मिलता है और पान, गुटखा, सिगरेट आदि इनके लिए पूरी तरह मुफ्त है।
गश्त सिर्फ दिखावा- सरकंडा निवासी सुमित महाजन कहते हैं कि रात में सार्वजनिक क्षेत्रों में पुलिस की गश्त सिर्फ दिखावा है। गश्त करने के लिए पहुंचने पर भी दुकानें खुली मिलती हैं, लेकिन दिखावा कर दुकानें बंद कर चले जाते हैं। अगर अपराध कम करना है तो देर रात अवैध रूप से खुलने वाली दुकानों को बंद कराना जरूरी हो गया है।
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अपराध रोकने के लिए करनी होगी सख्ती- चांटापारा निवासी अशोक सिंह ठाकुर का कहना है कि अगर अपराध का ग्राफ कम करना है तो पुलिस को ऐसे दुकानदारों के खिलाफ सख्ती करनी होगी। इन्हें किसी भी तरह की छूट नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ये सिर्फ नशीले पदार्थ बेचते हैं। इन दुकानों को तय समय के अनुसार बंद करना होगा, इससे कुछ हद तक अपराध कम होंगे।
नियमों के विरुद्ध देर रात खुलने पर नगर निगम द्वारा रामा मैग्नेटो मॉल के सामने स्थित एक पान दुकान को दो बार सील किया जा चुका है। इस पान दुकान संचालक की पुलिस से गजब सेटिंग है। सील की गई दुकान महज 24 घंटे में फिर खुल जाती है।
हालात ऐसे हैं कि इसके संचालक ने नाबालिगों को देर रात तक पान, गुटखा, सिगरेट बेचने के काम पर लगा रखा है। जो आने-जाने वालों को ये सारा सामान मुहैया कराते हैं। हर आधे से एक घंटे में पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी यहां पहुंचती है और सामान लेकर लौट जाती है।
पान की दुकान देर रात तक खुली रहती है। इससे उन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है। इनकी कमाई को देखते हुए अब मोहल्ले की गलियों और संपर्क मार्गों पर संचालित छोटे-छोटे जनरल स्टोर भी देर रात तक खुलने लगे हैं। यहां भी सिगरेट और गुटखा बेचा जा रहा है।
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शहर के तालापारा इलाके में आधा दर्जन से अधिक छोटे जनरल स्टोर देर रात तक खुले रहते हैं। शहर के लगभग सभी मोहल्लों में ऐसे छोटे जनरल स्टोर देर रात तक खुले रहते हैं और जनरल सामान के साथ नशे का सामान भी परोस रहे हैं।
रामा मैग्नेटो मॉल का चौक काफी संवेदनशील हो गया है। शाम के बाद यहां काफी भीड़ होती है और अक्सर असामाजिक तत्व छेड़छाड़ की घटना को अंजाम देकर भाग जाते हैं। यहां खुले मुख्य क्षेत्र रामा मैग्नेटो मॉल के सामने, तालापारा मस्जिद के पास, तैयबा चौक, मगरपारा चौक, रेलवे स्टेशन, पुराना बस स्टैंड क्षेत्र, नया बस स्टैंड, सिंधी कॉलोनी, जूना बिलासपुर, कुदुदंडा, सरकंडा सीपत चौक के पास, मंगला चौक के पास आदि हैं।
इसके लिए पुलिस विभाग जिम्मेदार है। थाना स्तर के अधिकारी और पुलिसकर्मी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को गलत सूचना देते हैं और उनके संरक्षण में पान ठेले और अन्य नशीली दवाएं बेचने वाली दुकानों को देर रात तक खुला रहने देते हैं। उन्हें नियमानुसार रात 10:30 बजे दुकानें बंद करने के निर्देश दिए जाने चाहिए, जो लोग दुकानें बंद नहीं करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन थाना स्तर के पुलिसकर्मी इन बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं और अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।