- चार साल पहले फेसबुक छोड़ा, इंस्टाग्राम रील्स से भी दूर...तनाव मुक्त रहने के लिए परिवार के साथ बिताता हूं वक्त

चार साल पहले फेसबुक छोड़ा, इंस्टाग्राम रील्स से भी दूर...तनाव मुक्त रहने के लिए परिवार के साथ बिताता हूं वक्त

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर के अधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी के जीवन से कुछ ऐसे अनछुए पहलू उजागर हुए हैं, जिनका अनुसरण सभी को करना चाहिए। रघुवंशी ने बताया कि कैसे वे एक समय में एक ही काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं और काम का तनाव कभी घर नहीं ले जाते।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में लोगों को न्याय दिलाने की पैरवी करने वाले एडवोकेट एमपीएस रघुवंशी को खाली समय में धार्मिक किताबें पढ़ने का शौक है। वे इंटरनेट मीडिया से दूर रहते हैं और न्यायिक मामलों में मदद पाने के लिए ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

उन्हें सात्विक भोजन पसंद है, पूरे परिवार के साथ घूमने जाते हैं। पुराने जमाने का संगीत सुनते हैं। जब भी मौका मिलता है, वे समाज के कमजोर तबके की मदद करने से पीछे नहीं हटते।

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उनकी जीवनशैली सबके लिए मिसाल है।

यह जीवनशैली है हाई कोर्ट ग्वालियर के जाने-माने अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी की। अधिवक्ता रघुवंशी कहते हैं कि तनाव से उनका अब तक कोई नाता नहीं रहा।

 

पूरी तैयारी होने पर ही वे मैदान में उतरते हैं। न्याय व्यवस्था में दम दिखाने वाले अधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी के जीवन की कई ऐसी रोचक बातें हैं, जो उन्होंने नई दुनिया से साझा की हैं।

  •  सवाल: वकालत के अलावा ऐसा कौन सा काम है, जिसे आप बड़ी दिलचस्पी से करते हैं?

जवाब: ज्यादातर समय कोर्ट में ही बीतता है। लेकिन फिर भी जब भी समय मिलता है, समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए समाज सेवा का काम करके बहुत खुशी मिलती है।

  • सवाल: आप दिनभर में कितना समय इंटरनेट मीडिया पर बिताते हैं? क्या आप रील देखते हैं?

जवाब: इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ केस पढ़ने, जजमेंट डाउनलोड करने और ऑनलाइन डिबेट के लिए होता है। इसके अलावा मैंने 2020 में फेसबुक का इस्तेमाल बंद कर दिया और आज तक इंस्टाग्राम पर अकाउंट नहीं बनाया है। मुझे रील देखने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है। मैं सिर्फ जरूरी जानकारी के लिए ही इंटरनेट का इस्तेमाल करता हूं।

  • सवाल: आपको किस तरह के वाहन पसंद हैं, चलाना पसंद है या बैठना?

जवाब: वाहनों का शौक जैसा कुछ नहीं है। मैं इनका इस्तेमाल सिर्फ रोजमर्रा के कामों के लिए करता हूं। ज्यादातर मैं कार का इस्तेमाल करता हूं। मैं खुद वाहन नहीं चलाता, दिनभर केस से जुड़ी बातें दिमाग में घूमती रहती हैं, इसलिए कई बार गाड़ी चलाते वक्त नियंत्रण खोने का डर रहता है। इसलिए मैं ड्राइवर से गाड़ी चलवाता हूं।

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  • सवाल: संगीत के मामले में आपकी पसंद क्या है, क्या आपको गाने सुनना पसंद है?

जवाब: हां, मुझे संगीत सुनना बहुत पसंद है। लेकिन आधुनिक समय का संगीत समझ से परे लगता है। पुराने गानों में कानों में मिठास घोलने की जो क्षमता है, वह किसी और में नहीं। मैं आज भी किशोर कुमार और मोहम्मद रफी के गाने बड़े चाव से सुनता हूं और उनके साथ गुनगुनाता भी हूं।

  • प्रश्न: क्या आप वकालत का तनाव अपने साथ घर लेकर आते हैं? अगर हां, तो आप इससे कैसे मुक्ति पाते हैं?

उत्तर: इस सवाल का जवाब मेरे सहकर्मी ही देंगे। वे जानते हैं कि मैं एक समय में एक ही काम पूरी ईमानदारी से करता हूं। कार्यस्थल पर वकालत के दौरान मैं सिर्फ वकालत करता हूं, पढ़ाई के समय सिर्फ पढ़ाई करता हूं और घर जाने के बाद पूरा समय सिर्फ अपने परिवार के साथ बिताता हूं। मैं वकालत के लिए तभी मैदान में उतरता हूं, जब पूरी तरह से तैयार हो जाता हूं, इसलिए मुझे तनाव महसूस नहीं होता।

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  • सवाल: अगर आप वकील नहीं होते तो क्या करते?

जवाब: मैं कभी वकील नहीं बनना चाहता था। जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था, तब एक चौहान सर हमें पढ़ाते थे। उन्हें देखकर मैंने तय कर लिया था कि मुझे प्रोफेसर बनना है। इसी वजह से मैंने एलएलएम किया, लेकिन प्रोफेसर नहीं बन पाया। फिर मैंने वकालत की पढ़ाई की। अब भी मौका मिलता है तो जूनियर्स को पढ़ाता हूं।

  • सवाल: आपके परिवार में आज भी खेती-किसानी चलती है, क्या आपने कभी किसान के तौर पर काम किया है?

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जवाब: हमारा गांव अशोकनगर जिले में धुर्रा है। हमारे परिवार में शुरू से ही खेती-किसानी चलती आ रही है। पढ़ाई के दौरान जब भी गांव जाता था, तो हल चलाता था या ट्रैक्टर चलाता था। मैं आज भी खेती-किसानी करता हूं, लेकिन जब से न्यायिक सेवा में आया हूं, तब से ट्रैक्टर चलाने का समय नहीं मिलता।

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