साल 2024 अब खत्म होने वाला है। यह साल भी महंगाई की मार के लिए याद किया जाएगा। खाने-पीने की कोई ऐसी चीज नहीं थी जिस पर महंगाई की काली छाया न पड़ी हो। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित आम आदमी हुआ। उम्मीद है कि नए साल में सरकार कुछ कदम उठाएगी और कीमतों पर लगाम लगेगी।
वर्ष 2024 में जैसे-जैसे दिन बीतते गए, रसोई का खर्च बढ़ता गया। यह खर्च उन्हीं वस्तुओं को खरीदने में हुआ, जो कुछ दिन पहले तक कम दरों पर मिल रही थीं। आटा, दाल, तेल, मसाले और सूखे मेवों में महंगाई की आग सब्जियों तक पहुंच गई है।
इन 12 महीनों में खाद्य वस्तुओं के दामों में नौ से 100 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। दिसंबर 2023 में सोयाबीन, सरसों और अन्य खाद्य तेलों के दाम 120 से 130 रुपये प्रति लीटर थे। दिसंबर 2024 में इनके दाम बढ़कर 140-150 रुपये प्रति लीटर हो गए।
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जो सब्जियां 30 से 40 रुपए किलो मिल रही थीं, वे इस दिसंबर में 60 से 80 रुपए किलो मिल रही हैं। इससे हर घर की रसोई का मासिक बजट 500 से 1000 रुपए बढ़ गया है।
भोपाल किराना व्यापारी महासंघ के महासचिव विवेक साहू का कहना है कि सरकार ने विदेशों में गेहूं का निर्यात बढ़ा दिया। इससे अनाज मंडियों में गेहूं की आवक कम होने लगी और आटा महंगा हो गया।
सोयाबीन, सूरजमुखी के कच्चे तेलों पर आयात शुल्क बढ़ने से पाम तेल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 137 रुपए प्रति लीटर हो गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम तेल के दाम बढ़ने से खाद्य तेलों के दाम बढ़ते चले गए।
करौंद सब्जी मंडी थोक विक्रेता कल्याण समिति के अध्यक्ष मोहम्मद नसीम का कहना है कि इस साल बेमौसम बारिश के कारण फसलों और सब्जियों का उत्पादन 25 से 30 फीसदी कम रहा।
दिसंबर 2023 से 29 दिसंबर 2024 तक किराना सामान में नौ फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। वहीं, सबसे ज्यादा महंगी मखाना और बड़ी इलायची रही।
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सब्जी विक्रेताओं से मिली जानकारी के अनुसार सब्जियों के दाम रुपए किलो में दिए गए हैं। थोड़ा बहुत अंतर संभव है।
अर्थशास्त्री आरजी द्विवेदी कहते हैं कि पिछले एक साल में किराना और सब्जियों के दाम बढ़े हैं। महंगाई धीरे-धीरे बढ़ती रही। रोजमर्रा की जरूरी खाद्य सामग्री में 50 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। इससे हर घर के रसोई के बजट में 20 से 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।
उदाहरण के लिए चार से पांच सदस्यों वाला परिवार हर महीने किराना सामान पर 2500 से 3000 रुपए खर्च करता था। अब किराना सामान की कीमत 3500 से 4000 रुपए तक होने लगी है। वहीं सब्जियों पर हर महीने 1200 से 1800 खर्च होते थे, जिनका बजट दोगुना हो गया है।