हाथरस में 1999 से 2013 तक हुए छात्रवृत्ति घोटाले में एससी/एसटी और अल्पसंख्यक छात्रों के नाम पर करोड़ों रुपये का गबन किया गया था। 24.72 करोड़ रुपये के अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले में 65 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। अब जिला समाज कल्याण अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद घोटालेबाजों में खलबली मच गई है क्योंकि 57.54 लाख रुपये का एक और घोटाला सामने आया है जिसमें कई गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं।
हाथरस में वर्ष 1999 से वर्ष 2013 तक छात्रवृत्ति के नाम पर हुए कई घोटालों का मामला शांत नहीं हो रहा है। शिक्षा माफिया और अधिकारियों ने एससी-एसटी और अल्पसंख्यक छात्रों के नाम पर करोड़ों रुपये हड़प लिए।
अभी तक 24.72 करोड़ रुपये के अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले में हाथरस के 65 स्कूलों के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई चल रही थी, अब अनुसूचित जाति-जनजाति छात्रवृत्ति घोटाले में हाथरस के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी उग्रसेन पांडे की गिरफ्तारी के बाद घोटालेबाजों में खलबली मच गई है। अनुसूचित जाति के छात्रों के फर्जी नंबर दिखाकर 57.54 लाख रुपये का गबन किया गया था।
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हाथरस के 13 कॉलेजों में 1999 से 2005 तक हुआ था छात्रवृत्ति घोटाला
आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) कानपुर परिक्षेत्र की टीम हाथरस समेत प्रदेश भर में छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है। पिछले 20 दिनों में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले के नाम पर एक प्रधानाचार्य और एक प्रबंधक को गिरफ्तार किया गया है। अब एक बार फिर अनुसूचित जाति-जनजाति छात्रवृत्ति घोटाले की परतें खुल गई हैं।
अब तक 20 से ज़्यादा लोग गिरफ़्तार, मामला फिर गरमाया
हाथरस के 13 स्कूलों में फ़र्ज़ी नंबर दिखाकर 57.54 लाख का घोटाला किया गया है। इनमें से ज़्यादातर स्कूल सिकंदराराऊ इलाके के हैं। हाथरस में हुए इस मामले में 60 से ज़्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसका मुक़दमा हाथरस के सिकंदराराऊ थाने में दर्ज है। साल 2020 में टीम ने इस घोटाले में क़रीब 10 लोगों को गिरफ़्तार किया था। इसके बाद एक-दो गिरफ़्तारियाँ और हुईं। अब तक 20 से ज़्यादा लोग जेल जा चुके हैं। अब तत्कालीन ज़िला समाज कल्याण अधिकारी की गिरफ़्तारी के बाद शिक्षा माफियाओं में खलबली मची हुई है।