जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके पद से हटाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा चुका है। हालाँकि, जस्टिस वर्मा से पहले भी कई ऐसे जज हैं जिनके खिलाफ महाभियोग लाया जा चुका है।
जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके पद से हटाने की कवायद तेज हो गई है। 200 से ज़्यादा सांसदों ने उन्हें हटाने का नोटिस दिया है। इसमें कई पार्टियों के सांसद शामिल हैं। 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों में पीठासीन अधिकारियों को उनके खिलाफ महाभियोग के नोटिस सौंपे गए। लोकसभा अध्यक्ष इस संबंध में एक समिति की घोषणा भी कर सकते हैं। समिति में तीन सदस्य होंगे जो जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले की जाँच करेंगे। इसमें एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक जाने-माने न्यायविद होंगे। आपको बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा से पहले भी कई ऐसे जज हैं जिनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था, लेकिन अब तक किसी भी जज को महाभियोग के ज़रिए पद से नहीं हटाया गया है, आइए जानते हैं उनके बारे में।
न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी (1993): सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वी. रामास्वामी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा में पारित हुआ, लेकिन लोकसभा में खारिज हो गया। उन्हें महाभियोग का सामना करने वाले पहले न्यायाधीश माना जाता है।
न्यायमूर्ति सौमित्र सेन (2011): कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सौमित्र सेन पर धन के दुरुपयोग के आरोपों के बाद, राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन लोकसभा में इस मामले पर विचार होने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
न्यायमूर्ति एस.के. गंगेले (2015): मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.के. गंगेले के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। एक जाँच समिति गठित की गई, लेकिन उन्हें बरी कर दिया गया।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला (2015): गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। आरक्षण पर उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए उन्हें महाभियोग का नोटिस दिया गया था, लेकिन न्यायाधीश ने विवादास्पद टिप्पणी हटा ली और प्रक्रिया रुक गई।
जस्टिस सी.वी. नागार्जुन रेड्डी (2017): आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे जस्टिस सी.वी. नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन कुछ सांसदों द्वारा अपने हस्ताक्षर वापस ले लेने के कारण यह आगे नहीं बढ़ सका।
जस्टिस दीपक मिश्रा (2018): सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन यह संसद में पारित नहीं हो सका। राज्यसभा के सभापति ने पहले चरण में ही प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में 14 मार्च 2025 की रात आग लग गई थी। आग बुझाने पहुँचे दमकल विभाग के कर्मियों ने उनके घर से नकदी बरामद की थी। हालाँकि, आग में कई नोट भी जल गए थे। घटना का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें घर के स्टोर रूम में जले हुए 500 रुपये के नोटों के बंडल दिखाई दे रहे थे। उस समय जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे, बाद में उनका तबादला इलाहाबाद उच्च न्यायालय कर दिया गया था।