अफ़ग़ानिस्तान को अपनी रणनीतिक गहराई बताने वाला पाकिस्तान अब इससे परेशान है। देखिए, विदेश मंत्री इशाक डार ने सीनेट में इस पर कैसे विलाप किया।
भस्मासुर नाम का एक राक्षस था। उसने भगवान महादेव की कृपा पाने के लिए घोर तपस्या की। उसकी भक्ति देखकर भोले बाबा प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि वह जिस पर भी हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। यह वरदान पाकर भस्मासुर ने उन्हें धोखा दिया और भगवान शिव को नुकसान पहुँचाने के इरादे से उनके पीछे दौड़ा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और भस्मासुर को अपने जाल में फँसाकर उसका हाथ अपने ही सिर पर रखवा दिया। इससे भस्मासुर फँस गया और अपने ही वरदान के कारण अपने ही हाथों भस्म हो गया। अब बात करते हैं पाकिस्तान की, क्योंकि यह कहानी पाकिस्तान और तालिबान की कहानी से बिल्कुल मेल खाती है। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने तालिबान पर विलाप करते हुए कहा कि काबुल में एक कप चाय पीना पाकिस्तान को बहुत महंगा पड़ा। इस खबर में पढ़ें कि कैसे तालिबान, अफगानिस्तान को अपना रणनीतिक गढ़ बताने वाले पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया।
इशाक डार को चाय की प्याली क्यों याद आई?
पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक कप चाय पीना पाकिस्तान के लिए महंगा साबित हुआ। ऐसी गलती दोबारा नहीं होनी चाहिए। बुधवार को सीनेट में बोलते हुए, इशाक डार ने इमरान खान की तत्कालीन पीटीआई सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि उस चाय की प्याली और सहानुभूति के कारण पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के लिए अपनी सीमाएं खोल दीं। यह फैसला एक गंभीर गलती थी।
इमरान-आईएसआई की गलती पाकिस्तान को भारी पड़ी!
गौरतलब है कि इशाक डार की टिप्पणी तत्कालीन आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद की 2021 की काबुल यात्रा का जिक्र करती है, जो अफगानिस्तान से अमेरिकी और सहयोगी बलों की वापसी के तुरंत बाद हुई थी। फैज हमीद ने काबुल में तालिबान अधिकारियों के साथ चाय पी थी, जिससे दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की गई थी कि पाकिस्तान अफगानों के साथ खड़ा है। हालांकि, अब डार का कहना है कि पाकिस्तान अभी भी उस फैसले की कीमत चुका रहा है।
इशार डार ने लगाए गंभीर आरोप
एआरवाई न्यूज़ के अनुसार, इशाकर डार ने कथित तौर पर पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में वृद्धि को अफ़ग़ानिस्तान की धरती से संचालित आतंकवादी संगठनों से जोड़ा है। पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, फ़ितना अल-ख़वारिज और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को इसके लिए ज़िम्मेदार मानता है।