आस्था के केंद्र तिरुपति मंदिर में मिलावटी घी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। मंदिर के एक अधिकारी ने प्रसाद में मिलावट के आरोपों को पॉलिटिकल प्रोपेगैंडा बताया है, जिससे इस मुद्दे पर नए सिरे से पॉलिटिकल बयानबाजी शुरू हो गई है।
तिरुपति में मिलावटी घी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। मंदिर के एक पूर्व अधिकारी ने ऐसे आरोपों को प्रोपेगैंडा बताया है। YSRCP के सांसद और TTD के पूर्व चेयरमैन वाईवी सुब्बा रेड्डी ने यह बयान दिया। उन्होंने 2019 से 2024 के बीच चढ़ाए गए 20 करोड़ तिरुमाला लड्डुओं में मिलावटी घी के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने इसे बिना किसी साइंटिफिक आधार के पॉलिटिकल प्रोपेगैंडा बताया।
उन्होंने कहा कि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) अभी मामले की जांच कर रही है, और हम इसका स्वागत करते हैं और जरूरत पड़ने पर सहयोग करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने ऐसी अफवाहों को भक्तों को गुमराह करने वाला भी बताया।
रेड्डी ने कहा कि पिछली TDP सरकार के दौरान भी ऐसे ही आरोप लगाए गए थे। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लड्डुओं में जानवरों की चर्बी की मिलावट का आरोप लगाया था। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने CBI की निगरानी में जांच का आदेश दिया। अब, जांच पूरी होने से पहले ही वही कहानी दोहराई जा रही है। रेड्डी ने पूछा कि क्या SIT ने जानवरों की चर्बी होने की पुष्टि की है? लैब सबूत कहां हैं?
"जिन घी के टैंकरों को संदिग्ध माना गया था, उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था।"
रेड्डी ने आगे कहा कि जिन चार घी के टैंकों को संदिग्ध माना गया था, उन्हें जांच के दौरान रिजेक्ट कर दिया गया था। उनका कभी इस्तेमाल ही नहीं हुआ। इन टैंकरों का ज़िक्र फिर से क्यों किया जा रहा है?
घी की खरीद कीमत को लेकर आरोपों के बारे में उन्होंने कहा कि YSRCP के राज में घी 326 रुपये प्रति किलोग्राम खरीदा गया था और उसे मिलावटी बताया जा रहा है। हालांकि, जब 2017-18 में घी कम रेट पर खरीदा गया था, तो कभी कोई जांच नहीं की गई। अगर कीमत से घी की अशुद्धता तय होती है, तो क्या उस घी को भी अशुद्ध माना जाना चाहिए? यह तिरुमाला की पवित्रता पर एक तरह का हमला है।
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू ने लगाए थे आरोप
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर प्रसाद में मिलावटी घी का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने फैट समेत घटिया चीज़ों का इस्तेमाल किया था। उनकी सरकार ने शुद्ध घी का इस्तेमाल फिर से शुरू कर दिया है। उन्होंने YSRCP के कम कीमत पर घी खरीदने पर सवाल उठाया, क्योंकि उस समय पाम ऑयल भी महंगा था।
TDP के प्रवक्ता वेंकट रमना रेड्डी का दावा है कि पिछली सरकार के दौरान नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की लैब ने कन्फर्म किया था कि पिछली सरकार द्वारा सप्लाई किए गए घी में मछली का तेल, फैट, पाम ऑयल और बीफ ऑयल की मिलावट थी। उन्होंने सुब्बा रेड्डी से सफाई मांगी और पूरी ट्रांसपेरेंसी की मांग की।