सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील से कहा
पटना । सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जातिगत सर्वेक्षण की अनुमति देने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा कि वह इस प्रक्रिया पर तबतक रोक नहीं लगाएगा, जब तक कि वे (याचिकाकर्ता) इसके खिलाफ प्रथम दृष्टया ठोस आधार नहीं देते।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को मुद्दे पर सात दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने की भी अनुमति दी, क्योंकि उन्होंने कहा था कि सर्वेक्षण के कुछ परिणाम हो सकते हैं। मेहता ने कहा, हम इस तरफ या उस तरफ नहीं हैं, लेकिन इस कवायद के कुछ परिणाम हो सकते हैं, इसकारण हम अपना जवाब दाखिल करना चाहते हैं। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से राज्य सरकार को आंकड़े प्रकाशित करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की।
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वहीं पीठ ने कहा, आप समझिए, दो चीजें हैं। एक आंकड़ों का संग्रह है, वह कवायद जो समाप्त हो गई है, और दूसरा सर्वेक्षण के दौरान एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण है। दूसरा भाग, अधिक कठिन एवं समस्याग्रस्त है। जब तक आप (याचिकाकर्ता) प्रथम दृष्टया मामले का आधार बनाने में सक्षम नहीं हो जाते, हम किसी भी चीज पर रोक नहीं लगाने वाले। इसमें कहा गया है कि बिहार सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान आश्वासन दिया था कि वह डेटा प्रकाशित नहीं करने जा रही है। जब रोहतगी ने बिहार सरकार को रोक लगाने का आदेश देने पर जोर दिया,तब पीठ ने कहा, राज्य के पक्ष में पहले ही फैसला आ चुका है। यह इतना आसान नहीं है। जबतक प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता, हम इस पर रोक नहीं लगाने वाले।