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डीडीए के खिलाफ याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में स्वीकार
नई दिल्ली। दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा रामलीला कमेटियों को रियायती दर पर पार्क व पब्लिक प्लेस मुहैया कराने का मामला अदालत चक्कर में फंसता नजर आ रहा है। इसको लेकर द्वारका निवासी और अखिल भारतीय मंदिर परिषद के राष्ट्रीय सचिव रॉबिन शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। याची ने आरोप लगाए हैं कि डीडीए एक तरु रामलीला आयोजकों को सस्ती दरों पर खाली जमीन और मैदान मुहैया करा रहा है तो दूसरी तरफ छठ पूजा, जन्माष्टमी, दिवाली मेले आदि जैसे धार्मिक आयोजन कराने वालों से काफी महंगी दरों पर जमीनों की बुकिंग ली जा रही है।
उनका आरोप है कि पिछले वर्ष भी डीडीए ने काफी सस्ती दर पर रामलीला आयोजकों को जमीनें उपलब्ध करवाई थी। इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस तारा वितस्ता गंजू ने रॉबिन शर्मा की याचिका मंजूर कर ली है। दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए से उसके खिलाफ भेदभाव के आरोपों पर शुक्रवार को जवाब मांगा है। याचिका पर दिल्ली और केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किए गए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई नवंबर में होगी। एडवोकेट रवि वशिष्ठ के जरिए दायर याचिका में शर्मा ने कहा कि तीनों प्रतिवादी दिल्ली डेवलपमेंट एक्ट 1957 के तहत अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रहे। याचिका के मुताबिक सरकार को अपनी खाली पड़ी जमीनों और डीडीए के मैदानों के प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली है, जिसके तहत वो विभिन्न धार्मिक संस्थानों, ट्रस्टों, वेलफेयर संगठनों और आम जनता को ऐसी जगहें किराए पर देते हैं।
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