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शिकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी बोली थी।बता दें कि मारखोर एक तरीके की जंगली बकरी है और यह पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है। इसकी सींग बेशकीमती होती है और करीब 45 इंच तक लंबी होती है। पाकिस्तान हर साल मारखोर के शिकार के लिए नीलामी के जरिए कुछ परमिट जारी करता है। ये परमिट तोशी, चित्राल, गिलगित बाल्टिस्तान, गहरायत जैसी जगहों पर शिकार के लिए मिलते हैं। पिछले साल मारखोर के शिकार की एक नीलामी 167,525 में डॉलर में हुई थी।
 पाकिस्तानी अफसरों के मुताबिक पिछले कुछ सालों में मारखोर की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है, इसीलिए ट्रॉफी हंटिंग को बढ़ावा मिला है और इसके शिकार की इजाजत दी गई है। ट्रॉफी हंटिंग प्रोग्राम तहत नीलामी से जो पैसा आता है, उसमें से 80% स्थानीय लोगों को जाता है जबकि 20% सरकार अपने पास रखती है।खबरों के मुताबिक नीलामी के बावजूद सिर्फ नर और बुजुर्ग हो चुके मारखोर का ही शिकार करने की इजाजत मिलती है। हाल के दिनों में एक वर्ग पाकिस्तान सरकार की इस नीति की खासी आलोचना करता रहा है। आपको बता दें कि मारखोर पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु है।
 
                     
                   
                         
                        