नई दिल्ली । आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस इन दिनों जमकर तैयारी में जुटी हुई है। इस संबंध में अलग-अलग प्रदेश के नेताओं से केंद्रीय नेतृत्व का लगातार संवाद व चर्चा जारी है। बुधवार को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने आंध्र प्रदेश के नेताओं से मुलाकात की। आंध्र प्रदेश को लेकर मीटिंग में कांग्रेस का जोर जहां एक ओर प्रदेश में खोया जनाधार लौटाने पर रहा, वहीं दूसरी ओर इस पर भी मंथन हुआ कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ तालमेल की गुंजाइश कितनी व कैसी है।
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश में लोकसभा के साथ ही प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने हैं। तीन घंटे तक चली मीटिंग में दोनों ही चुनावों को लेकर आगामी रणनीति पर चर्चा हुई। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल की मौजूदगी में प्रदेश के प्रभारी माणिकम टैगोर व प्रदेशाध्यक्ष जी रुद्र राजू सहित तमाम नेताओं ने भाग लिया।बैठक के बाद जहां खरगे ने इसे एक महत्वपूर्ण रणनीति बैठक करार देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि बैठक में नेताओं ने आम चुनाव के लिए पार्टी को मजबूत करने पर अपने विचार साझा किए।
खरगे का कहना था कि हर कोई मानता है कि कर्नाटक और तेलंगाना में सरकार बनने के बाद जमीनी स्थिति में काफी बदलाव आया है। हर नेता और कार्यकर्ता कड़ी मेहनत करेगा और हम उस रिश्ते को फिर से स्थापित करेंगे, जो आंध्र प्रदेश के लोगों ने एक बार कांग्रेस पार्टी के साथ साझा किया था। दूसरी ओर इस बैठक के बाद प्रदेश के प्रभारी माणिकम टैगोर का कहना था कि हम कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास करने वाले सभी लोगों को आंध्र प्रदेश के पुनर्निर्माण के लिए पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने इसके लिए 15 फीसदी का लक्ष्य रखा है। कांग्रेस को लगता है कि एक दशक में जहां आंध्र प्रदेश के लोगों की नाराजगी कुछ कम हुई है, वहीं दूसरी ओर वहां के लोगों ने वाईएसआर कांग्रेस पांच साल के शासन और मोदी सरकार के दस साल के शासन को देखा है। कांग्रेस का मानना है कि बंटवारे के मौके पर कांग्रेस ने बतौर केंद्र सरकार विकास के जो वादे किए गए थे, उसे पूरा करने में मौजूदा पीएम मोदी नीत केंद्र सरकार नाकाम रही है। वहीं वाईएसआर कांग्रेस ने भी पिछले पांच सालों में बीजेपी का हाथ पकड़कर अपने अधिकारों की लड़ाई को अधूरा छोड़ा है।