- अगर उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के बीच में ही पद छोड़ देते हैं, तो अगला चुनाव कैसे होता है, यह अन्य चुनावों से कैसे अलग है? जानिए पूरी प्रक्रिया

अगर उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के बीच में ही पद छोड़ देते हैं, तो अगला चुनाव कैसे होता है, यह अन्य चुनावों से कैसे अलग है? जानिए पूरी प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे यह पद रिक्त हो गया। वे अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। संविधान के अनुसार, नए उपराष्ट्रपति का चुनाव 60 दिनों के भीतर होना आवश्यक है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह फिलहाल यह जिम्मेदारी संभालेंगे।

जगदीप धनखड़ ने सोमवार (21 जुलाई, 2025) देर रात उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। वे भारत के इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले वी.वी. गिरि और आर. वेंकटरमन ने भी कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफा दे दिया था। चूँकि धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था, इसलिए देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद अभी भी रिक्त है।

ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं कि अब उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी कौन संभालेगा? अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे और कितने समय के लिए होगा? कौन चुनाव लड़ सकता है? ऐसे ही कई सवाल हैं, जिनके जवाब हम जानने की कोशिश करेंगे। तो आइए जानते हैं क्या है प्रक्रिया...

उपराष्ट्रपति पद की ज़िम्मेदारी कौन निभाएगा?

संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान नहीं है। हालाँकि, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, इसलिए उनकी अनुपस्थिति में उपसभापति यह ज़िम्मेदारी संभालेंगे। वर्तमान में उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह हैं, इसलिए सदन उनकी देखरेख में चलेगा।

उपराष्ट्रपति का चुनाव कब होगा?

संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति पद का चुनाव 6 महीने के भीतर होना चाहिए, जबकि उपराष्ट्रपति का पद 60 दिनों के भीतर भरना होता है। यहाँ यह जानना ज़रूरी है कि यदि उपराष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूरा करते हैं, तो 60 दिनों की समय सीमा होती है और यदि बीच में त्यागपत्र दे दिया जाता है, तो उसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा की जाती है।

यह चुनाव राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत होता है। परंपरा के अनुसार, संसद के किसी भी सदन के महासचिव को बारी-बारी से चुनाव अधिकारी नियुक्त किया जाता है।

नया उपराष्ट्रपति कब तक पद पर रहेगा?

यहाँ ऐसा नहीं है कि यदि कोई उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफा दे देता है, तो केवल उस कार्यकाल को पूरा करने के लिए ही चुनाव होंगे। उपराष्ट्रपति पद के लिए जब भी चुनाव होता है, वह उसके पूरे कार्यकाल के लिए होता है। जिस दिन वह अपना पद ग्रहण करता है, उसी दिन से वह अपना पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगा।

उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों और मनोनीत सदस्यों से मिलकर बने एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। राज्य विधानमंडल इसमें भाग नहीं लेता, जबकि वह राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेता है।

मतदान कहाँ होता है?
इसके लिए मतदान नई दिल्ली स्थित संसद भवन में होता है।

मतदान कैसे होता है?
उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान अत्यंत गोपनीय होता है और आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
प्रत्येक सांसद उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में रखकर मतदान करता है। सभी मतों का मूल्य समान होता है।
निर्वाचित घोषित होने के लिए, किसी उम्मीदवार को न्यूनतम आवश्यक संख्या में वोट प्राप्त करने होते हैं, जिसे कोटा भी कहा जाता है।
इसकी गणना कुल वैध वोटों की संख्या को दो से विभाजित करके और एक जोड़कर की जाती है।

यदि पहले चरण में कोई भी उम्मीदवार कोटा पार नहीं करता है, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है और उसके वोट दूसरी वरीयता के आधार पर शेष उम्मीदवारों को हस्तांतरित कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कोई उम्मीदवार कोटा पार नहीं कर लेता।

उम्मीदवारों के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए।
उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के योग्य होना चाहिए।
किसी भी संसदीय क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
साथ ही, उम्मीदवार केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।

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