नयी दिल्ली । यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी की है। जिसमें कॉलेज से एमफिल में दाखिला ना लेने के लिए निर्देश जारी किये हैं। इसके बाद किसी भी कॉलेज में छात्रों को एम फिल की पढ़ाई का अवसर नहीं मिलेगा। पूर्वांचल से छात्र वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में भी सोशियोलॉजी, इतिहास, पत्रकारिता व अन्य संबंधित विषयों के साथ एमफिल की पढ़ाई पूरी कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें दाखिला नहीं मिल सकेगा। इसको लेकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर और छात्रों से बात की है।
बातचीत के दौरान प्रोफेसर भारती ने कहा कि निश्चित तौर पर यूजीसी गाइडलाइन के मुताबिक अब छात्रों को एमफिल में दाखिला नहीं मिल सकेगा। इसके अनुसार अब शिक्षक बनने के लिए छात्रों को एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा इससे पहले नेट क्वालीफाई करते हुए छात्र एमफिल की डिग्री के साथ अंडरग्रेजुएट शिक्षक के लिए अप्लाई कर सकते थे। अब छात्रों को पीएचडी पूर्ण करके ही शिक्षक के लिए अप्लाई करना होगा।
इसके अलावा प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह ने भी कहा कि शिक्षक बनने के लिए अब छात्रों को एक लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ेगा। विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में छात्र एमफिल का कोर्स करने के बाद नेट क्वालीफाई होने के साथ ही शिक्षक के लिए अप्लाई करते थे। हालांकि कोविड काल के बाद से ही वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एमफिल कोर्स की कक्षाएं पूरी तरह बंद हैं। इस मामले को लेकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र गौरव मिश्रा ने कहा कि हम छात्रों के लिए यह संघर्ष बढ़ने जैसा है। क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे और जिन छात्रों के ऊपर अधिक जिम्मेदारी है, वह एमफिल करके भी शिक्षक के लिए अप्लाई करते थे लेकिन अब उन्हें पीएचडी करना पड़ेगा।