मानस भवन में 12 अगस्त,2024 को आयोजित किया अलंकरण समारोह
Bhopal News: मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग अंतर्गत तुलसी शोध संस्थान द्वारा वार्षिक पद्मभूषण युगतुलसी पण्डित रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार’ की स्थापना वर्ष 2024 से की गई है। यह सम्मान धार्मिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने, भारतीय ज्ञान परम्परा के पौराणिक आख्यानों के प्रवाचकों अथवा इन्हीं विषयों से संबंधित श्रेष्ठ लेखन/पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में स्थापित किया गया है। इस पुरस्कार के अंतर्गत 2 लाख रुपये की सम्मान राशि एवं सम्मान पट्टिका भेट की जाती है।
तुलसी मानस प्रतिष्ठान, मध्यप्रदेश द्वारा तुलसी जयंती समारोह एवं युगतुलसी पं. रामकिंकर उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन 11 से 17 अगस्त, 2024 तक मानस भवन, भोपाल में किया गया है। म.प्र. शासन, संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित प्रथम पद्मभूषण युगतुलसी पं. रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार से सुप्रतिष्ठित वक्ता एवं धर्मसेवी दीदी मंदाकिनी को प्रदान किया गया।
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इस पुरस्कार का अलंकरण समारोह दिनांक 12 अगस्त, 2024 को तुलसी मानस प्रतिष्ठान, मानस भवन में मुख्यमंत्री जी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। इस अलंकरण समारोह में मंच पर मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन डॉ. मोहन यादव, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग धर्मेन्द्र सिंह लोधी, दीदी मंदाकिनी, प्रमुख सचिव, संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला, संचालक, संस्कृति एन.पी. नामदेव, सचिव, तुलसी मानस प्रतिष्ठान रघुनंदन शर्मा, कुलगुरू, सांची विश्वविद्यालय, प्रो. वैद्यनाथ लाभ एवं अन्य दर्शक, श्रोता उपस्थित रहे। समारोह में प्रमुख सचिव, संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला द्वारा मुख्यमंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग धर्मेन्द्र सिंह लोधी, दीदी मंदाकिनी एवं अन्य अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके बाद कार्यक्रम में प्रतिष्ठान द्वारा संपादित तुलसी मानस पत्रिका का विमोचन अतिथि द्वारा किया गया।
यह प्रथम सम्मान पूज्यनीय दीदी मंदाकिनी को प्रदान करते हुए मध्यप्रदेश शासन खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। पूज्य दीदी मंदाकिनी रामकिंकरजी का जन्म मुंबई के सुसंस्कृत परिवार में हुआ, जहाँ उनका लालन-पालन धार्मिक वातावरण में हुआ। आप परम पूज्य महाराज श्रीरामकिंकरजी की पहली और एकमात्र प्रत्यक्ष शिष्या हैं, जो श्री रामचरितमानस पर अंग्रेजी और हिंदी में व्याख्यान देती हैं। आप एक मेधावी छात्रा रही हैं, औपचारिक शिक्षा में आपने माइक्रोबायोलॉजी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।
आपने परम पूज्य महाराजश्री के साहित्य के विशाल ग्रंथों की पुस्तकों और कैसेटों के लेखन, संकलन में सक्रिय रूप से योगदान दिया है। आपका हिंदी तथा मराठी के साथ-साथ गुजराती तथा अंग्रेजी पर भी समान अधिकार है। विभिन्न भाषाओं में आपने मानस के विमर्श को एक व्यापक आधार प्रदान किया है। आपने नैतिक रूप से जागरूक सुसंस्कृत महिलाओं के लिए ‘जननी जागृति दर्शन‘ नामक एक मंच बनाया है, जिसका उद्देश्य कमजोर वर्गों की सेवा करना है। आप दो सामाजिक-आध्यात्मिक धर्मार्थ संगठन ‘रामायणम ट्रस्ट‘ और ‘जानकी जीवन मंदिर ट्रस्ट‘ की अध्यक्षा हैं, जिनके माध्यम से निरन्तर सामाजिक धर्मार्थ, शैक्षिक और आध्यात्मिक गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं।
समारोह में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग धर्मेन्द्र सिंह लोधी द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि पंडित श्रीरामकिंकर उपाध्याय जी ने 49 वर्षों तक लगातार प्रवचन दिए हैं और प्रवचन एवं साहित्य के द्वारा महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी के महाकाव्य श्रीरामचरितमानस के वास्तविक गूढ़ार्थ और व्याख्या को नवीन दृष्टि प्रदान करके पंडित श्रीरामकिंकर उपाध्याय जी ने न केवल भारत बल्कि अखिल विश्व को हमारी सनातन संस्कृति से अवगत कराया है। रामचरित मानस को जन-जन तक पहुंचाया है। समारोह में संचालक, संस्कृति एन.पी. नामदेव द्वारा प्रशस्ति वाचन किया।
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उद्बोधन देते हुए मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने युगतुलसी पद्मभूषण पण्डित रामकिंकर उपाध्याय जी की पावन स्मृति में मानस की धारा के विद्वानों को प्रतिवर्ष सम्मानित करने का निर्णय लिया है। एक छोटा सा विचार पुष्प की तरह पल्लवित हुआ और आज दीदी को सम्मानित कर मध्यप्रदेश सरकार अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही है। उद्बोधन के दौरान मुख्यमंत्री जी ने श्रीरामचरितमानस के अध्याय और चरितों पर भी बात की। समारोह में प्रमुख सचिव, संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला द्वारा आभार ज्ञापित किया गया।