Indore News: आलोक कहते हैं कि उनके पास सबसे बेशकीमती चीज महात्मा गांधी का चश्मा है। इसके पीछे की कहानी वे बताते हैं कि 1947 में आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनके दादा को दंगों को शांत करने के लिए राजस्थान के अजमेर भेजा था।
इंदौर में रहने वाले 53 वर्षीय आलोक खादीवाला के पास आजादी की लड़ाई से जुड़े एक हजार से ज्यादा डाक टिकट और महात्मा गांधी द्वारा उपहार में दिया गया एक चश्मा है। उन्हें आजादी से जुड़ी चीजों को सहेज कर रखने का शौक है। विवेक खुद एक स्वतंत्रता सेनानी के पोते हैं। वे बचपन से ही डाक टिकट इकट्ठा करते आ रहे हैं।
आलोक कहते हैं कि आजादी के बाद भारत सरकार ने जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे नेताओं के योगदान को सम्मान देने के लिए डाक टिकट जारी किए। ये उनके संग्रह का हिस्सा हैं। संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी और इंडोनेशिया जैसे देशों ने भी महात्मा गांधी और कुछ अन्य प्रमुख भारतीय हस्तियों को समर्पित डाक टिकट और सिक्के जारी किए हैं।
ये भी उनके पास उपलब्ध हैं। आलोक कहते हैं कि उनके पास सबसे बेशकीमती चीज महात्मा गांधी का चश्मा है। इसके पीछे की कहानी वे बताते हैं कि 1947 में आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दंगों को शांत करने के लिए उनके दादा कन्हैयालाल खादीवाला को राजस्थान के अजमेर भेजा था।
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शांति बहाल होने के बाद वे महात्मा गांधी से मिलने दिल्ली गए और उन्हें स्थिति से अवगत कराया। बापू ने उन्हें अपना चश्मा भेंट किया। जिसे उन्होंने अब तक संभाल कर रखा है। इसे देखने के लिए कई लोग आते हैं। खादीवाला परिवार समाज सेवा से जुड़े कई काम भी करता है।