MP News: ईदगाह क्षेत्र स्थित मस्जिद नजमुल में होने वाली जुमे की नमाज में महिलाओं के लिए नमाज अदा करने के विशेष इंतजाम किए गए हैं। राजधानी भोपाल में कभी परंपरा रही महिलाओं के मस्जिद में जाकर नमाज अदा करने की व्यवस्था एक बार फिर शुरू होने जा रही है। फिलहाल यह व्यवस्था जुमे की नमाज के लिए की जा रही है।
भविष्य में इसे अन्य दिनों और अन्य समय के लिए भी शुरू किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इस शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज शहर की महिलाओं के लिए खास होगी। ईदगाह क्षेत्र स्थित मस्जिद नजमुल में होने वाली जुमे की नमाज में महिलाओं के लिए नमाज अदा करने के विशेष इंतजाम किए गए हैं। मस्जिद की प्रबंध समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि यहां नमाज अदा करने आने वाली महिलाओं के लिए पर्दे की व्यवस्था के साथ फर्श पर अलग से व्यवस्था की गई है यहां आने वाली महिलाएं अलग फ्लोर पर खुतबा भी सुन सकेंगी। वे जमात के साथ इमाम द्वारा पढ़ाई जाने वाली नमाज में भी हिस्सा ले सकेंगी।
बेगम काल में थी व्यवस्था भोपाल रियासत की विरासत महिला शासकों के हाथ में रही है। इसी के चलते शहर की सैकड़ों मस्जिदों में से ज्यादातर के नाम महिलाओं के नाम पर हैं। इनमें मस्जिद कुलसुम बिया, मस्जिद मंजी साहिबा, मस्जिद नन्ही बिया जैसी कई मस्जिदें शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि शहर की इनमें से ज्यादातर मस्जिदों में महिलाओं के नमाज पढ़ने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी। बेगमों के शासनकाल तक यहां महिलाओं के मस्जिदों में जाकर नमाज पढ़ने का रिवाज आम था।
एशिया की सबसे बड़ी कही जाने वाली ताजुल मस्जिद में आज भी यह व्यवस्था है, यहां महिलाओं के नमाज पढ़ने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। यहां महिलाओं के लिए अलग से शौचालय, वुजुखाना और नमाज के लिए स्थान चिह्नित हैं। इधर, राजधानी के व्यावसायिक क्षेत्र एमपी नगर स्थित प्रेस कॉम्प्लेक्स की मस्जिद रब्बानी का हाल ही में जीर्णोद्धार किया गया है। यहां भी महिलाओं के नमाज अदा करने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। यहां आने वाली महिलाओं के लिए आराम करने, लाइब्रेरी, बाथरूम और नमाज के लिए उपयुक्त व्यवस्था की गई है।
यहां पुरानी निशानियां देखी जा सकती हैं। राजधानी की ईदगाह को प्रदेश की ही नहीं बल्कि पूरे देश की सबसे बड़ी ईदगाह कहा जा सकता है। बेगम के शासनकाल में महिलाओं के लिए की गई व्यवस्थाएं यहां आज भी देखी जा सकती हैं। इसके अलावा मोती मस्जिद, जामा मस्जिद, कुलसुम बिया जैसी कई पुरानी मस्जिदों में आज भी पुरानी व्यवस्थाएं देखी जा सकती हैं। लेकिन लंबे समय से यहां महिलाओं के नमाज अदा करने की व्यवस्था लगभग बंद हो गई है।