पेट का वायरस, जिसे आम तौर पर ''नोरोवायरस'' कहा जाता है, अमेरिका के सुदूरवर्ती क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है। अमेरिका से आए डॉ. बी. वेंकटराम प्रसाद ने इस बीमारी के बारे में जानकारी के साथ बताया कि यह वायरस कैसे फैलता है और इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, स्थान। पूरी दुनिया में एक ऐसा वायरस है जिससे नए लोग परेशान हो रहे हैं। इस वायरस का नाम मानव नोरोवायास है। साधारण भाषा में समझा जाए तो इसे उल्टी थैली और पेट का फ्लू भी कहा जाने लगा है।
इस वायरस से प्रभावित व्यक्ति को उल्टी और दस्त जैसी परेशानियाँ परेशान करती हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए इस पर शोध चल रहा है। यह बात टैक्सास, अमेरिका से आए डॉ. सम्मेलन में हुई। बी. वैंकटराम प्रसाद ने मैहरन नोरोवायरस- रोल ऑफ कन्फर्मेशनल प्लास्टिक सिटी इन एंट्री एंड एंटीबाडी वाइटरल स्माइस विषय पर व्याख्यान के दौरान कहा।
उन्होंने कहा कि पेट का वायरस, जिसे आम तौर पर ''नोरोवायरस'' कहा जाता है, अमेरिका के सुदूरवर्ती क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है। उन्होंने बताया कि यह वायरस पॉजिटिव व्यक्ति के मल या फिर उल्टी में रहने वाले छोटे साबिद, व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क, जैसे देखभाल करना, खाना या पॉइशियन शेयर करना, या उनके द्वारा बनाया गया खाना पकाने वाला विशेषज्ञ है।
रक्षा एवं विकास स्थापना (डीआरडीए) में आयोजित तीन दिवसीय वैरोकन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन रविवार को हुआ। सम्मेलन में देश-विदेश के 400 से अधिक वैज्ञानिक, व्यापारी, शोधकर्ता और आई तकनीशियन के सदस्य शामिल हुए। समापन सत्र के पहले 10वां व्याख्यान आयोजित हुआ।
सम्मेलन का आयोजन इंडियन वायरोलाजिकल सोसाइटी (आईई वोक्स) ने किया। टेक्निकल सत्र के बाद एकेडेमिया एंड इंस्टीट्यूट के साथ यूनाइटेड सिम्पोजियम का आयोजन भी हुआ। जिसमें देश-विदेश के प्रतिनिधियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उन्होंने अपने किले और किले की जानकारी दी। इस सिंपोज़ियम का उद्देश्य अनुसंधान फर्म और कॉमर्स को संयुक्त निगम के पास लाना था।
सम्मेलन के समापन सत्र में मेडिकल वायरोलॉजी, वेटनरी वायरोलॉजी, प्लांट वायरोलॉजी, एक्वेटिक वायरोलॉजी, फेज वायरोलॉजी आदि विषय वस्तु में विभिन्न पुरस्कार दिए गए। इन अवॉर्ड्स में यंग साइंटिस्ट ऑफ द ईयर, बेस्ट पोस्ट अवॉर्ड, बेस्ट मॉस्क मास्टर्स अवॉर्ड और आई वीसी ट्रेवल ग्रांट अवॉर्ड शामिल थे।
समापन भाषण में डॉ. डेमोक्रेट परीडा, निर्देशक डी.डी.आर.डी. ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कई मायनों में बेहद सफल रहा है। इसमें देश-विदेश के विज्ञान, ग्रिड, अनुसंधानकर्ताओं के साथ-साथ सहयोगियों से जुड़े सहयोग का अवसर मिला। कार्यक्रम सचिव डाॅ. पीके दास को आईवी की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। डॉ. दास ने सभी रेस्तरां और आईएलसी के प्रति स्टोरों की खरीद-फरोख्त की। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. साहिल आलम, साहिल संगम ने किया।