- हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा का पलड़ा अभी भी भारी, कांग्रेस हाईकमान को भेजी रिपोर्ट; 31 विधायक हैं उनके साथ

हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा का पलड़ा अभी भी भारी, कांग्रेस हाईकमान को भेजी रिपोर्ट; 31 विधायक हैं उनके साथ

अब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा कि हार के बाद भी हुड्डा हरियाणा में पार्टी का नेतृत्व करते रहें या कोई और नेता चुना जाए। अशोक गहलोत, अजय माकन और पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा पर्यवेक्षक बनकर पहुंचे थे।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा निशाने पर थे। इसके बाद भी अधिकतर विधायक चाहते हैं कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जाए। विधायकों ने पार्टी की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षकों के सामने भी यह राय रखी, जिसे उन्होंने हाईकमान के सामने रखा है। अब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा कि हार के बाद भी हुड्डा हरियाणा में पार्टी का नेतृत्व करते रहें या कोई और नेता चुना जाए। अशोक गहलोत, अजय माकन और पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा पर्यवेक्षक बनकर पहुंचे थे।

इन नेताओं ने सभी विधायकों से अलग-अलग बात की थी। इन लोगों ने कहा कि हुड्डा प्रदेश के सबसे मजबूत नेता हैं और उन्हें ही कमान दी जानी चाहिए। दिल्ली में हुड्डा खेमे की बैठक भी हुई, जिसमें पार्टी से जीते 37 में से 31 विधायक शामिल हुए। इसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से अपनी ताकत दिखाने की कोशिश माना गया।

अब पर्यवेक्षकों ने भी हाईकमान के सामने रिपोर्ट पेश की है कि हुड्डा को ज्यादा समर्थन हासिल है। पूर्व सीएम का समर्थन करने वाले विधायकों का कहना है कि भाजपा ने लगातार तीसरी बार प्रदेश में जीत दर्ज की है। ऐसे में वह काफी मजबूत होकर उभरी है। इतनी मजबूत भाजपा से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को एक पुराने नेता की जरूरत है, जिसका अच्छा जनाधार हो।

 

इस लिहाज से भूपेंद्र सिंह हुड्डा सही नेता हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में पार्टी के ज्यादातर विधायक हुड्डा के साथ हैं और वे किसी दूसरे नेता को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। यही वजह रही कि जब उन्होंने दिल्ली में अपने सांसद बेटे दीपेंद्र के आवास पर बैठक बुलाई तो वहां ढाई दर्जन से ज्यादा विधायक पहुंच गए।

इस बैठक को लेकर हुड्डा ने कहा कि यह सिर्फ औपचारिक थी। फिर भी जिस तरह से ढाई दर्जन विधायक जुटे, उससे राजनीतिक अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। कई विधायकों ने कहा कि भाजपा के लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के बाद कांग्रेस के भविष्य को लेकर चिंता की स्थिति है। ऐसे में इस सरकार से मुकाबले के लिए विपक्ष की कमान किसी मजबूत नेता के हाथ में होनी चाहिए।

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