हिंदू पंचांग के अनुसार, माह की शुरुआत हो चुकी है, जो भगवान श्री कृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस माह में व्रत, पूजा, भगवद गीता का पाठ और ध्यान करना होता है। तामसिक भोजन से मुक्ति। सत्य, अहिंसा और धर्म का पालन करें।
इंदौर. मार्गशीर्ष माह हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक महत्वपूर्ण महीना है, जो नवंबर से दिसंबर के बीच आता है। यह धार्मिक कृत्यों, व्रत और पूजा-पाठ के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस महीने में भगवान कृष्ण और माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष माह में शांति की पूजा की जाती है। इस दौरान तामसिक भोजन से दूर रहने और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया जाता है।
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास को अत्यंत शुभ मास माना जाता है। यह भगवान कृष्ण को सबसे प्रिय है। उन्होंने स्वयं श्रीमद्भागवत गीता के दसवें अध्याय के विभूति योग में कहा है कि "मासानां मार्गशीर्षम्" अर्थात "सभी मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं।" ऐसे में मार्गशीर्ष मास को भगवान कृष्ण का स्वरूप माना जाता है।
इस माह में भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न प्रकार से पूजा-अर्चना की जाती है। यह समय भक्ति और साधना के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है। धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार इस माह में व्रत, जप और पूजा-पाठ करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। इस समय में श्री भगवद्गीता का पाठ और श्री कृष्ण की शिक्षाओं का अध्ययन करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति मिलती है, जिससे उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। इस माह में श्री कृष्ण के प्रति भक्ति और आस्था को बढ़ावा दिया गया है।