मध्य प्रदेश में किसानों को साल भर गेहूं के ऊंचे दाम (मध्य प्रदेश गेहूं दर) मिले। अभी भी कृषि मंडी नीलामी में रोजाना 3 हजार बोरी गेहूं बिकने आ रहा है। हालांकि, चमकदार गेहूं की आवक कम हो गई है। गाजर, मिल और सख्त गेहूं ज्यादा आ रहा है।
इस साल उज्जैन जिले में गेहूं की बोवनी का रकबा बढ़ा है। करीब 4.50 लाख हेक्टेयर में बोवनी हुई है। 90 फीसदी खेतों में बीज बोए जा चुके हैं। बोवनी के बाद गेहूं के भाव में करीब 150 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। मालवा में पर्याप्त बारिश होने से किसानों ने गेहूं बोवनी को प्राथमिकता दी है।
चने की बोवनी सिर्फ 10 हजार हेक्टेयर में हुई है। गेहूं का रकबा 4.50 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। पिछले सप्ताह तक गेहूं के बीज की जबरदस्त मांग के चलते भाव काफी ऊंचे थे। चमकीला गेहूं 3500 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा था, लेकिन जैसे ही बीज वाले गेहूं की मांग खत्म हुई, भाव में करीब 150 रुपए की गिरावट आ गई।
क्योंकि देसावर में मांग कमजोर है। मिल क्वालिटी के दाम भी गिरे हैं। आटा, रवई, मैदा जैसे आटा मिल उत्पादों की बिक्री भी कम हुई है। इस साल सीजन से अब तक गेहूं में 500 से 600 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आई है। स्टॉकिस्ट अपना गेहूं का स्टॉक बेचने में सफल रहे हैं।
किसानों की मानें तो इस बार अधिक उपज देने वाले गेहूं की किस्मों की बुवाई अधिक हुई है। हालांकि यह गेहूं लोकवन, पूर्णा, शरबती जैसी गेहूं उत्पादक किस्मों से काफी कम कीमत पर बिक रहा है। किसानों के अनुसार अब हर क्षेत्र में पर्याप्त पानी उपलब्ध होने के कारण पोषक, मालवराज, तेजस, 513 किस्मों की बुवाई अधिक संख्या में हुई है।
अन्य किस्मों की तुलना में इस बार भी इस गुणवत्ता वाले गेहूं के बीज की मांग अधिक रही। इस गेहूं में सीजन से लेकर ऑफ सीजन तक जबरदस्त तेजी भी रही है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के पास गेहूं का स्टॉक कम है। ऐसे में वह पिछले 6 महीने से ओपन सेल स्कीम के तहत लाइन में गेहूं नहीं बेच पा रही है। गरीब उपभोक्ताओं को भी गेहूं की जगह चावल खिलाया जा रहा है।
ऐसे में पिछले महीने तक गेहूं का भाव काफी ऊंचा रहा, लेकिन सरकार ने स्टॉक लिमिट लगा दी है। इस डर से आटा दुकानदारों और बड़े स्टॉकिस्टों ने अपना स्टॉक बेचना शुरू कर दिया, जबकि लिवाली कमजोर है। नतीजतन इस हफ्ते मंदी रही।