मध्य प्रदेश में मंत्रालयिक अधिकारियों और कर्मचारियों का डेटा लीक होने की आशंका है। उनके मोबाइल नंबर पर इंटरनेशनल कॉल आ रहे हैं। मोबाइल सेवा बंद करने के साथ ही कॉल पर लिंक भी भेजे जा रहे हैं। कर्मचारियों ने इस मामले में शिकायत की है।
पिछले कुछ दिनों से मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को बड़ी संख्या में उनके मोबाइल नंबरों पर फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल आ रहे हैं। उन्हें मोबाइल सेवाएं बंद करने या फिर लिंक का इस्तेमाल करने को कहा जा रहा है।
मंत्रालय सेवा अधिकारी-कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपकर मामले की जांच की मांग की है। जिन नंबरों पर उक्त कॉल आए हैं, उनकी सूची भी सरकार को सौंपी गई है।
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सरकार के पास सुरक्षित डेटा का उल्लंघन (अगर ऐसा हुआ है) एक गंभीर मामला है। गौरतलब है कि इस तरह की संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कॉल उन्हीं नंबरों पर आ रही हैं जो सामान्य प्रशासन विभाग में पंजीकृत हैं।
जिन कर्मचारियों और अधिकारियों के पास एक से अधिक नंबर हैं, उनके पास केवल उसी नंबर पर कॉल आए हैं, जो उन्होंने सरकार को दिया है। नायक ने कहा कि संदेह है कि सरकार के पास सुरक्षित रखे गए अधिकारियों और कर्मचारियों का डेटा जालसाजों तक लीक हो गया है।
प्रदेश में संगठित अपराध पर नियंत्रण और कार्रवाई के लिए गठित विशेष कार्य बल (एसटीएफ) में स्वीकृत बल का 25 प्रतिशत भी नहीं है। यहां अधिकारियों और कर्मचारियों के कुल 390 पद स्वीकृत थे, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 87 पदस्थ हैं। एसटीएफ में पहले से ही बल की कमी थी।
उसमें भी कांस्टेबल से लेकर पुलिस उपाधीक्षक समेत पहले से पदस्थ कुछ कर्मचारी और अधिकारी दूसरी जगहों पर चले गए हैं। उनकी जगह बहुत कम नए आए हैं। इस वजह से सिर्फ 87 ही बचे हैं। बल की कमी का एक कारण यह भी है कि जिला पुलिस बल से कर्मचारी एसटीएफ में प्रतिनियुक्ति पर आने को तैयार नहीं हैं।
मैनपावर की कमी के कारण संगठित अपराधों में अपराधियों को पकड़ने, मामले की विवेचना, विवेचना आदि काम प्रभावित हो रहे हैं। एसटीएफ के गठन के बाद से अब तक करीब 25 हजार अपराध दर्ज हो चुके हैं। एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले की जांच की थी।
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इसके बाद एसटीएफ के पास मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध हथियार, नियमों की अनदेखी कर बीएड कॉलेजों को मान्यता देने, सतना में शस्त्र लाइसेंस देने में गड़बड़ी जैसे मामले हैं। एसटीएफ के अफसरों ने बताया कि मुख्यालय से लेकर सातों जोनों में मैनपावर की कमी है।
विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के तीन नए जोनों का गठन किया जा रहा है, लेकिन मैनपावर की कमी के कारण एसटीएफ के नए जोनों का गठन नहीं हो पा रहा है। यही स्थिति ईओडब्ल्यू की है। यहां स्वीकृत मैनपावर के मुकाबले महज 40 फीसदी स्टाफ है। इसके कारण शिकायतों की जांच और अभियोजन में देरी हो रही है।