अगर योजना के अच्छे नतीजे सामने आए तो रेरा में पंजीकृत निजी बिल्डरों को ही सब रजिस्ट्रार के अधिकार दिए जाएंगे। आपको बता दें कि इस प्रस्तावित व्यवस्था से पहले राज्य सरकार स्टांप वेंडर के अधिकार निजी हाथों में दे चुकी है। इससे व्यक्ति को प्रॉपर्टी और अन्य कामों के लिए आसानी से स्टांप उपलब्ध हो जाता है।
राज्य सरकार अब रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में पंजीकृत बिल्डरों (निजी बिल्डरों) को सब रजिस्ट्रार के अधिकार देने जा रही है। इससे वे अपने प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन खुद कर सकेंगे।
राज्य सरकार शुरुआत में मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड और भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) के एक-एक अधिकारी को सब रजिस्ट्रार के अधिकार देगी। इसका प्रस्ताव तैयार है। मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलते ही यह नई व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी। इसके तहत हाउसिंग बोर्ड या विकास प्राधिकरण के किसी भी अधिकारी को सब रजिस्ट्रार का प्रभार दिया जाएगा।
यह अधिकारी राज्य में हाउसिंग बोर्ड या विकास प्राधिकरण के प्रोजेक्ट में संपत्ति का रजिस्ट्रेशन कर सकेगा। इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि संपत्ति खरीदने वाले व्यक्ति को रजिस्ट्रार के दफ्तर नहीं जाना पड़ेगा। वह हाउसिंग बोर्ड दफ्तर में नियुक्त सब रजिस्ट्रार के जरिए भी रजिस्ट्रेशन करवा सकेगा।
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प्रस्ताव के अनुसार हाउसिंग बोर्ड, बीडीए और रेरा में रजिस्टर्ड बिल्डरों को सब-रजिस्ट्रार का अधिकार देने से वे अपने प्रोजेक्ट में एक साथ प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करा सकेंगे। इसका फायदा यह होगा कि प्रॉपर्टी खरीदने वालों को रजिस्ट्रार ऑफिस नहीं जाना पड़ेगा और वे दलालों के चंगुल से भी बच सकेंगे।
इस नई व्यवस्था को 'नॉन इंटरेस्ट मोड' नाम दिया गया है। बिल्डर रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करेंगे, उसे आधार से लिंक करेंगे और सॉफ्टवेयर में दस्तावेज रजिस्टर कर ऑनलाइन सबमिट करेंगे। सब-रजिस्ट्रार उसका परीक्षण कर उसे मंजूरी देंगे।
अब स्टाम्प वेंडर की मदद से क्रेता और विक्रेता अपने दो गवाहों के साथ रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थित होते हैं। संपत्ति के दस्तावेजों का ऑनलाइन सत्यापन किया जाता है। इसके बाद रजिस्ट्री की जाती है। इससे पहले रजिस्ट्रार कार्यालय से स्लॉट बुक किया जाता है। स्लॉट नंबर आने पर ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया होती है।
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अक्टूबर 2024 से प्रदेश में लागू होने वाले नए रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर संपदा-2.0 के तहत अब लोग घर बैठे यानी खरीद या बिक्री करके संपत्ति की रजिस्ट्री करवा रहे हैं। इस व्यवस्था से प्रदेश ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश के बाहर से भी ऑनलाइन रजिस्ट्री की जा सकेगी।
हालांकि इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद भी गवाहों को कार्यालय आना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि सेवा प्रदाताओं के पास अंगूठे के निशान और वेब कैमरा नहीं है, इसलिए पुराने रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर संपदा-1 पर भी काम चल रहा है।