- ऐसी है इंदौर पुलिस... 76 साल के बुजुर्ग ने 85 बार आवेदन दिया, लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखी गई

ऐसी है इंदौर पुलिस... 76 साल के बुजुर्ग ने 85 बार आवेदन दिया, लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखी गई

76 वर्षीय राजेंद्र महाजन एक स्कूल चलाते हैं। एक साल पहले उनके कर्मचारी कमलेश गुर्जर ने स्कूल में घुसकर महत्वपूर्ण दस्तावेजों से भरा बैग चुरा लिया था। महाजन ने इसकी शिकायत पुलिस थाने में की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने एक के बाद एक 85 आवेदन दिए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

एक तरफ सरकारें स्मार्ट पुलिसिंग और लोगों को तुरंत मदद पहुंचाने का दावा करती हैं, वहीं दूसरी तरफ पुलिस का गैरजिम्मेदाराना रवैया लोगों को बार-बार थाने के चक्कर लगाने पर मजबूर कर रहा है। ऐसा ही एक मामला इंदौर के 76 वर्षीय बुजुर्ग का है।

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चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने थाने गए बुजुर्ग को पुलिस ने चप्पल पहना दी। एक साल बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। बुजुर्ग ने थाने और अफसरों के दफ्तरों में 85 बार आवेदन दिए हैं। इस दौरान दो टीआई और दो पुलिस कमिश्नर बदले।

एसीपी तलब

मंगलवार को जब बुजुर्ग फिर जनसुनवाई में पहुंचे तो कमिश्नर ने हॉल में बैठे एसीपी को तलब कर लिया। एसीपी ने जब कहा कि यह विवादित मामला है तो कमिश्नर ने सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी। घटना तिलकनगर थाना क्षेत्र के तिलकनगर एक्सटेंशन की है।

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कर्मचारी ने दस्तावेजों से भरा बैग चुराया


शिकायतकर्ता 76 वर्षीय राजेंद्र महाजन इंडो किड्स स्कूल चलाते हैं। आरोप है कि पिछले साल 20 दिसंबर को पूर्व कर्मचारी कमलेश गुर्जर ने स्कूल में घुसकर महत्वपूर्ण दस्तावेजों से भरा बैग चुरा लिया। राजेंद्र ने तिलक नगर थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई, लेकिन तत्कालीन टीआई अजय नायर ने कोई कार्रवाई नहीं की।

घटनास्थल का निरीक्षण तक नहीं किया

पीड़ित ने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज भी सौंपी। राजेंद्र ने बताया कि घटना के समय कमलेश के दोस्त परीक्षित और विजय बाहर खड़े थे। थाना प्रभारी ने आवेदन तो ले लिया, लेकिन दर्ज करना तो दूर, घटना स्थल का निरीक्षण तक नहीं किया।

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आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई

गवाह और फुटेज की जांच करना भी उचित नहीं समझा। करीब दो महीने पहले उन्हें नायर लाइन अटैच कर दिया गया और उनकी जगह इंस्पेक्टर मनीष लोढ़ा को थाना प्रभारी बना दिया गया। लोढ़ा ने भी राजेंद्र के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की।

जनसुनवाई में पहुंचा बुजुर्ग

मंगलवार को पीड़ित पुलिस कंट्रोल रूम में जनसुनवाई में पहुंचा और पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह से गुहार लगाई। राजेंद्र ने कहा कि मैं एक साल से चक्कर लगा रहा हूं। दो थाना प्रभारी और दो पुलिस कमिश्नर बदल गए।

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तत्कालीन पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर और राकेश गुप्ता भी आश्वासन देकर चले गए। मैं हृदय रोगी हूं। पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही। कमिश्नर ने आवेदकों की बात सुन रहे एसीपी (खजराना) कुंदन मंडलोई को तलब किया। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि मुझे सात दिन में रिपोर्ट चाहिए।

उन्होंने 37 लाख रुपए की एफडी पेश की और कहा- जुर्माना लगाओ

राजेंद्र के मुताबिक आरोपी दस्तावेजों के साथ चेक बुक भी ले गए हैं। फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक में चेक जमा कर रहे हैं। मैंने अफसरों के सामने 37 लाख रुपए की एफडी पेश की और कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अगर मेरी गलती है तो मुझ पर जुर्माना लगाएं। एसीपी कुंदन मंडलोई के मुताबिक यह मामला आपसी लेन-देन से जुड़ा है। स्कूल संचालक ने कर्मचारियों के नाम में गलती की है।

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